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एक स्वेटर

कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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सुनो तुम
कोरोना की इस आँधी में,
जहाँ मौसम का नहीं ठिकाना।
कभी आँसूओं की बारिश है,
कभी अपनों से बिछोह की तपिश।
कभी स्वांसों की शिथिलता,
और ठिठुरन
अनिश्चित है अब ज़िन्दगी का मौसम।
सोचा क्या करूँ एकान्त में बैठ,
कलम की सलाई,और कागज की डोरी
बस हाथ में लिए हर क्षण,
ख़यालों का एक स्वेटर बुन रही हूँ।
और इस स्वेटर में बदलते मौसम-सी,
ज़िन्दगी के हर रंग भर रही हूँ।
तुम्हारे साथ बिताए वो हर पल,
मोतियों से जड़े हैं।
प्यार और एहसास,से भरा ये स्वेटर,
पहन लेना इसे जब-
अकेलेपन की ठिठुरन में खुद को पाओ,
ओढ़ लेना इसे जब आँसूओं में भीग जाओ
ढक लेना खुद को इससे जब,
संघर्षों के तूफां में घिरा खुद को पाओ।
ये महज ख़यालों का फूलदान नहीं,
मेरे न होने पर मेरे होने का एहसास होगा।
रखना दिल में बसाकर इसे,
इसमें जिन्दा मेरी साँसों का आभास होगा।
ये ख़यालों से बुना खूबसूरत तोहफा है
तुम्हारे लिए
जो मेरी साँसें बंद हो जाने पर भी,
खुशबू बन तुम्हारी यादों में जिंदा होगा॥

परिचयकविता जयेश पनोत का बसेरा महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई स्थित खारकर अली रोड पर है। १ फरवरी १९८४ को क्षिप्रा (देवास-मप्र)में जन्मीं कविता का स्थाई निवास मुम्बई ही है। आपको हिन्दी,इंग्लिश, गुजराती सहित मालवी भाषा का ज्ञान भी है। जिला-ठाणे वासी कविता पनोत ने बीएससी (नर्सिंग-इंदौर,म.प्र.)की शिक्षा हासिल की है। आपका कार्य क्षेत्र-नर्स एवं नर्सिंग प्राध्यापक का रहा,जबकि वर्तमान में गृहिणी हैं। लेखन विधा-कविता एवं किसी भी विषय पर आलेखन है। १९९७ से लेखन में रत कविता पनोत की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। फिलहाल स्वयं की किताब पर काम जारी है। श्रीमती पनोत के लेखन का उद्देश्य-इस रास्ते अपने-आपसे जुड़े रहना व हिन्दी साहित्य की सेवा करना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक,कोई एक नहीं, सब अपनी अलग विशेषता रखते हैं। लेखन से जन जागरूकता की पक्षधर कविता पनोत के देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
‘मैं भारत देश की बेटी हूँ,
हिन्दी मेरी राष्ट्र भाषा
हिन्दी मेरी मातृ भाषा,
हिन्द प्रचारक बन चलो,
कुछ सहयोग हम भी बाँटें।

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