हिन्दी

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मैं हिन्द देश की हिन्दी हूँ, मैं भारत भाल की बिंदी हूँ। मैं तुलसी दास की रामायण, मैं वेद-पुराण,गीता गायन मैं गीत,ग़ज़ल,रूबाई हूँ, मैं दोहा,छंद,रोला,चौपाई हूँ मैं जन-जन प्यारी हिंदी हूँll मैं हिन्द देश… मैं सूरदास की नैन बनी, मैं कान्हा मुरली बैन बनी मैं भोर बनी,मैं रैन बनी, मैं … Read more

हे त्रिपुरारी

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* हे गौरी पतये महादेव त्रिनेत्रधारी देवन के देव जग पालनकर्ता। हे शंभू कैलाश विराजत गौरा माँ संग हे अमर नाथ हे त्रिलोकी नरेश। हे देव गिरिजा प्राणनाथ बाबा चंदेश्वर हे नागा धिराज प्रभु किरातेश्वर। हे भोले महेश त्रिपुरारी संकट हारी रुंड माला धारी हे अवढ़र दानी। हे हठ योगेश सर्पधारी … Read more

शर्म करो

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* राम-रहीम की धरती पर यूँ न अधर्म करो, बहन-बेटियों को मत नोंचो,कुछ तो शर्म करो। वह भी किसी की बेटी है, जिस कोख से तूने जन्म लिया। अरे नराधम तुमने तो उस, कोख को लज्जित आज किया। बेटी है देवी की मूरत यूँ न कुकर्म करो॥ बहन-बेटियों को मत नोंचो… … Read more

तुम रुलाना नहीं

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मीत हमको कभी तुम सताना नहीं, दूर जा कर हमें तुम रुलाना नहीं। जी न पायें सजन हम बिना आपके, जान कर तुम हमें आजमाना नहीं। जी रही हूँ तुझे देख कर साजना, तुम नहीं तो कहीं भी ठिकाना नहीं। तुम मुझे यूँ सदा ही हँसाया करो, हाँ कभी तुम … Read more

बात-बात पे आँख दिखाता है…

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* (रचनाशिल्प:मात्रा भार २४) कल पिलाया दूध उन्हें आँख दिखाता है। उँगली पकड़ चलाया राह तू बताता हैl जिगर का टुकड़ा था कल तक तू माँ-बाप का, वृद्धाश्रम में ले जाकर आज बिठाता है। कल तक माँ-माँ करता फिरता आगे-पीछे, अब उसी को बात-बात पे आँख दिखाता है। पेट काट कर … Read more

दीवार

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* आँगन में दीवार देख कर सोच रही माँ खड़ी-खड़ी, रिश्तों में दरार पड़ गयी,आई है ये कैसी घड़ीl बचपन में संग खेला,तूने संग-संग की पढ़ाई, तू है मेरा प्यारा छोटा अव्वल आना भाई। लगता है अब टूट गई रिश्तों की नाजुक कड़ी, रिश्तों में दरार पड़ गयी,आई है ये कैसी … Read more

सुहानी शाम

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* शाम सुहानी आ गई,पंछी करते शोर। लौट रहे हैं नीड़ को,बाँध प्रीत की डोरll बैलों की घंटी बजे,जस वृन्दाबन धाम। ग्वालों की टोली लगे,संग श्याम बलरामll सतरंगी आभा लिये,बिखरे हो सिंदूर। अरुण किरण की लालिमा,देखो कुदरत नूरll शीतल मंद सुगंध पवन,और सुहानी शाम। बन जाऊँ मैं राधिका,तुम बन जाओ श्यामll … Read more

माँ दरश दिखा जाना…

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना। नवरात चले जाये,माँ तुम न कभी जानाll पलकों से तेरी मैंया मैं डगर बुहारुँगी, गंगाजल से अंबे मैं चरण पखारूँगी। माँ नव नव रुपों में तुम झलक दिखा जाना, नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना…ll मैंने द्वार सजाई है माँ … Read more

कान्हा तेरा शुक्रिया

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* जिंदगी में श्याम जी ने सब कुछ दिया, तेरा शुक्रिया कान्हा,तेरा शुक्रिया। बचपन में माँ गोद दिया, सर पे पिता का साया भाई-बहन का प्यार दिया, कैसी प्रभु तेरी माया। घर आँगन चौबारा श्याम जी क्या नहीं दिया। तेरा शुक्रिया कान्हा,तेरा शुक्रियाll ज्ञानभरा संसार दिया, गुरुवर चरण का भान तुम्हीं … Read more

मैं हूँ नारी

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मैं ही तो वह नारी हूँ, जो सिंदूर देशहित वारी हूँ। बेटे के माथे तिलक लगा, सीमा पर मैं विदा कराती हूँ। जब ओढ़ कफन तिरंगा आता, अश्रु आँचल में छुपाती हूँ। मैं शेरनी महतारी हूँ, हाँ मैं वही नारी हूँ…॥ मैं रिद्धि हूँ,मैं सिद्धी हूँ, मैं ही तो मात … Read more