एक छोटी-सी तृष्णा

डॉ.किशोर जॉन इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************************** एक छोटी-सी सुबह कुछ गुलाबी,कुछ नमकीन-सी, एक छोटी-सी शाम केसरिया-सा रंग लिए, एक छोटी-सी मुस्कान चेहरे की रंगत नुमायाँ कर देl एक छोटी-सी अभिलाषा आत्मा को…

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विश्वास मुश्किल है

कमल किशोर दुबे कमल  भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************************************************** आजकल इन्सान से कुछ आस मुश्किल है। आदमी पर हो गया विश्वास मुश्किल हैl राह काँटों से भरी है,दूर मंज़िल भी, डगमगा जाएँ कदम,आभास…

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सोचें,आज नहीं तो कल

कमल किशोर दुबे कमल  भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************************************************** सोचें आज नहीं तो कल। भाग-दौड़ की इस दुनिया में, कितनी मारा-मारी है। भाग रहा दौलत के पीछे,राजा बना भिखारी है॥ खाना-पीना,सुखमय जीना, दौलत…

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आँसूओं को सिर्फ पानी मत समझिए

कमल किशोर दुबे कमल  भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचनाशिल्प:बह्र -फ़ाइलातुन×४) मुफ़लिसों के आँसूओं को सिर्फ पानी मत समझिए। बात है ये खास बेशक़ आनी'-जानी मत समझिए। ग़म बहुत,खुशियाँ बहुत कम,साल बीता दे…

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ये कोई बड़ा-अड़ा दिन नहीं होता…

कमल किशोर दुबे कमल  भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… आज हमारे पड़ौसी खबरीलाल जी सुबह-सुबह हमारे घर आये। आते ही बोले-"कलमकार,बड़ा दिन मुबारक हो!" मैंने चौंकते हुये…

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कर दे सब बुराईयों का अंत

डॉ.किशोर जॉन इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************************** अधर्म पर धर्म की जीत या पुण्य की पाप पर, बुराई पर अच्छाई की या असत्य पर सत्य की, पूज्यनीय है कर्म राम क़े पूज्यनीय है…

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सत्य

डॉ.किशोर जॉन इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************************** मौत की कगार पे खड़ा सत्य, मौत के बाज़ार में,इंतज़ार में l तार-तार हो चुके हैं कपड़े सत्य को ढकते-ढकते l ख़ून भी सारा बह चुका,…

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चलो कुछ दूर यूँ ही साथ-साथ

डॉ.किशोर जॉन इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************************** चलो कुछ दूर यूँ ही साथ-साथ, ज़िन्दगी का साथ हो मुमकिन नहीं रोज़ मुलाक़ात हो मुनासिब भी नहीं, कुछ यू ही हो अफ़सानी बातें कुछ हँसी-कुछ…

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