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चलो कुछ दूर यूँ ही साथ-साथ

डॉ.किशोर जॉन
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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चलो कुछ दूर यूँ ही साथ-साथ,
ज़िन्दगी का साथ हो मुमकिन नहीं
रोज़ मुलाक़ात हो मुनासिब भी नहीं,
कुछ यू ही हो अफ़सानी बातें
कुछ हँसी-कुछ मुस्कुराहटें।
कुछ पुरानी,कुछ नई बातें,
बस चलना है साथ-साथ
किसी का साथ अच्छा लगता है,
एक सुकून ठण्डा-सा एहसास
पहली बरसात की बूंदों-सा,
सुबह फूलों की खुशबू-सा
कल-कल करती बहती नदी-सा,
पूनम के चाँद की चांदनी-सा
सुबह के सूरज की रोशनी-सा।
मशवरा न हो बेगानी बातों का,
न हो तल्खियत-न झुंझलाहट
बस चलें कुछ दूर…बस,
समस्त ख़यालों से परे
समस्त अहसासों से दूर,
सभी भौतिकताओं से रिक्त
जो न प्यार का अहसास हो,
न दोस्ती का,न रिश्ते-नातों का
सबसे ऊपर उठकर केवल,
अहसास साथ का और कुछ नहीं
अहसास कुछ आत्मा का,
कुछ कुछ परमात्मा का।
चलो कुछ दूर यूँ ही साथ-साथ…॥

परिचय- डॉ.किशोर जॉन फ़िलहाल सह-प्राध्यापक के रुप में रीवा(मध्यप्रदेश) के शासकीय महाविद्यालय में सेवारत हैं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में शिक्षित डॉ. जॉन मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहते हैंl आप विशेष कर्त्तव्य अधिकारी के पद पर अतिरिक्त संचालक(उच्च शिक्षा विभाग,इंदौर संभाग) कार्यालय में इंदौर में पदस्थ रहे हैं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान सहित वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रबंध में आप स्नातकोत्तर हैं। आपको २३ वर्ष का शैक्षणिक एवं प्रशासकीय अनुभव है तो, राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ३० से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत एवं प्रकाशित किए हैं,एवं ३ पुस्तकों के सम्पादक भी रहे हैंl आपकी लेखन विधा कविता और लेख है।

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