फागुन के रंग
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मुदित श्याम सुंदर वदन,दर्शन मन अभिलास। मुरली कान्हा हाथ में,खड़ी राधिका पासll कान्हा रंगरसिया बने,ले पिचकारी हाथ। गोप गोपियाँ साथ में,खेले राधानाथll भींगे तन सतरंग से,लेपित लाल गुलाल। रंग लगायी राधिका,गाल लाल गोपालll सुन राधे अब तो रुको,बहुत लगायी रंग। भागो मत मनप्रीत तू,तुझे पिलाऊँ भंगll गिरिधर तू … Read more