फागुन के रंग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मुदित श्याम सुंदर वदन,दर्शन मन अभिलास। मुरली कान्हा हाथ में,खड़ी राधिका पासll कान्हा रंगरसिया बने,ले पिचकारी हाथ। गोप गोपियाँ साथ में,खेले राधानाथll भींगे तन सतरंग से,लेपित लाल गुलाल। रंग लगायी राधिका,गाल लाल गोपालll सुन राधे अब तो रुको,बहुत लगायी रंग। भागो मत मनप्रीत तू,तुझे पिलाऊँ भंगll गिरिधर तू … Read more

सफलता की कुंजी

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** निकला सोना आग से, रूप बदलता जाए… ज्यों-ज्यों उस पर चोट पड़े, और सुंदर हो जाए। बालक कहे कुम्हार से, कैसी मूरत दियो बनाए… जिस मिट्टी को रौंदा तूने, उन पर सबने शीश झुकाए। गिर-गिर के उठने वालों का, अंदाज अलग होता है… जो दूसरों पे गिरे, वो बर्बाद भी होता … Read more

प्यारी अपनी धरती है

डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’ कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)  *********************************************************** प्यारी अपनी धरती है और प्यारा अपना देश है। हरे-भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है॥ कुछ लोग यहाँ पर ऐसे हैं, जो धरती को गन्दा करते हैं। उनकी करनी-धरनी से भई, वन्य जीव सब मरते हैं। उनकी रक्षा करना ही,सब धर्मों का सन्देश है, हरे-भरे पेड़ों … Read more

आराधना माँ भारती

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आराधना नित साधना सुंदर सुभग माँ भारती, स्वप्राण दे सम्मान व रक्षण करें बन सारथी। समरथ बने चहुंओर से जयगान गुंजित यह धरा, हो श्यामला कुसमित फलित नित अन्नदा भू उर्वरा। आराधना नित साधना…॥ जीवन वतन बन शान हम अरमान हैं नित राष्ट्र के, उत्थान हो विज्ञान का … Read more

रखा आत्मा को जिंदा

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** खून सने हाथों से मैं भी अगर रोटियाँ खा लेता, नोटों की बारिश हो जाती अगर भाट बन गा लेताl लाख सहा दुख मैंने लेकिन रखा आत्मा को जिंदा- वरना थोड़े से ज़मीर के बदले सब कुछ पा लेताll परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर … Read more

मचल रही मनमीत मैं

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** रिमझिम-रिमझिम बारिशें,भीगे-भीगे नैन। मचल रही मनमीत मैं,आलिंगन निशि रैन॥ मंद-मंद शीतल पवन,हल्की मीठी धूप। लहराती ये वेणियाँ,चन्द्रमुखी प्रिय रूप॥ काया नव किसलय समा,गाल बिम्ब सम लाल। नैन नशीली हिरण-सी,मधुरिम बोल रसाल॥ चली मचलती यौवना,मन्द-मंद मुस्कान। खनक रही पायल सुभग,नवयौवन अभिमान॥ लहर दुपट्टा लालिमा,कजरी नैन विशाल। पीन पयोधर तुंग … Read more

हिमालय की चोटी

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** हिमालय की ऊँची चोटी, छू के भी देखो लक्ष्य का पीछा, करके भी देखो। जीत होगी तुम्हारी, तुम मिल के भी देखो आगाज ये हमारा, बुलन्दी से लगाओ नारा। न्याय है हमारी, संघर्ष है तुम्हारा मुश्किल न हो कोई इम्तिहान, ईमानदारी से करें अपना काम। डर-डर के जीने वालों को, नहीं … Read more

प्राची

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** प्राची के तट से उठकर दिनकर मुस्काये, खग कुल ने मधुरस में भींगे गीत सुनाये। कर्मवीर चल पड़े सपन को पूरा करने, जिससे जितना हो सम्भव,पर पीड़ा हरने। अगर उठे हो ऊपर तो सूरज बन जाओ, होकर धुर निष्पक्ष धरा रौशन कर आओ। सागर बनने की इच्छा यदि मन में … Read more

लहरे ध्वजा तिरंग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** दौलत है ऐसी नशा,क्या जाने वह पीर। इंसानी मासूमियत,आंखों बहता नीरll निज सत्ता सुख सम्पदा,मानस बस अनुराग। प्रीत न जाने राष्ट्र की,करता भागमभागll बड़बोला बनता फिरा,अहंकार मद मोह। छलता खु़द की जिंदगी,दुखदायी अवरोहll राम नाम अन्तर्मिलन,भक्ति प्रेम संयोग। शील त्याग परमार्थ ही,जीवन समझो भोगll जीवन है सरिता सलिल,लेकर … Read more

तेरा कंगन खनके…

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** जब-जब तेरा कंगन खनके तब-तब मेरा दिल धड़के, सारे लम्हें और वो पलकें कैसे बीते हम न समझे। रात-रातभर नींद न आई जब भी आई तेरी याद सताई, सपनें में भी इश्क लड़ाया छुप-छुप के मिलने तुमसे आए। सुबह में आए शाम में आए तेरे प्यार को भूल न पाए, दिल … Read more