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हिमालय की चोटी

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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हिमालय की ऊँची चोटी,
छू के भी देखो
लक्ष्य का पीछा,
करके भी देखो।

जीत होगी तुम्हारी,
तुम मिल के भी देखो
आगाज ये हमारा,
बुलन्दी से लगाओ नारा।

न्याय है हमारी,
संघर्ष है तुम्हारा
मुश्किल न हो कोई इम्तिहान,
ईमानदारी से करें अपना काम।

डर-डर के जीने वालों को,
नहीं मिलता अपना मुकाम
हिम्मत वालों को मिला,
इतिहास में अपना नाम।

तोड़ डालो मंजिलों की जंजीर,
बन जाओ थोड़ा गंभीर।
जब सफलता तुम्हारे पास आए,
खींच डालो तकदीर की लकीर॥

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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