अब बस
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* कितनी जिज्ञासु हैं आँखें! देखना चाहती हैं कितना कुछ बहुत कुछ,सब कुछ; इसलिए चहेती हैं, मन की,दिल की,पूरे जिस्म की। ये देती हैं भूख,पूरे जिस्म को, लालच भी देती हैं,भटकाती भी हैं पर शिकायत पर,झुक जाती भी हैं, इसलिए और भी चहेती हो जाती हैं। जहाँ तक पहुँचती हैं, … Read more