कुछ ना कहो

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** सुगुनी का विवाह अपने से बड़ी उम्र के आदमी किशना से हो गया था। किशना अच्छा पैसे वाला शख्स था। उसका बहुत पैसा सुगुनी के बाप राम चन्द्र पर उधार था। राम चन्द्र कैसे भी उस पैसे को नहीं चुका पा रहा था। किशना की पहली बीबी चार बच्चों को छोड़ कर … Read more

बेटियों की बात ही निराली

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** बेटियों की बात ही निराली है,ये तो लगती ही बहुत प्यारी हैंजब हँसती हैं तो चहचहाता सारा उपवन,जीवन की हर कठिनाई कोहम हँसते-हँसते सह जाती हैं।फिर भी लोग हमें ‘अबला’ नारी कहते,पिता के घर की रौनक हैं हमतो पति के घर का सम्मान हैं,दो-दो घरों को सजाती हैंबंश बेल को बढ़ाती हैं।हम … Read more

पैसे पेड़ पर नहीं उगते

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** आज शर्मा जी बहुत खुश थे। वह जल्दी घर पहुँचना चाहते थे,जिससे घर जाकर खुश खबरी सुना सकें। उनकी अकेली लाड़ली बेटी शुचि का सम्बन्ध इतने बड़े घर में होने जा रहा था। सचिन इंजीनियर था और अगले महीने विदेश जा रहा था। सचिन के माँ-बाप उसकी शादी करने की जल्दी में … Read more

प्यारा-सा बन्धन

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. रमा आज बहुत खुश थी,कल उसकी मनु की शादी है। ऐसा लग रहा है शायद कभी और किसी की शादी ही ना हुई पहले। रमा बीते दिनों की यादों में खो गई… जब वह इस हवेली में शादी करके आई, तब बहुत रौनक थी। सास,जमींदार ससुर,दो प्यारी … Read more

जल ही जीवन

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)************************************************ ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जल शब्द ही अपने-आपमें अनमोल है। ‘जल नहीं तो कल नहीं’,’जल से संवारे कल’ इतने नारे हम सुनते हैं,पर क्या हम जल को सहेजने का प्रयास करते हैं। गर्मी आते ही दुनिया में पेयजल का संकट सामने आता है।आज मनुष्य को लगता है कि,जल की आवश्यकता … Read more

रंग भेद-भाव नहीं करते

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)******************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… नौकर बुधिया को है भाता,होली का त्यौहार…ऊँच-नीच की इसमें कोई,होती नहीं दीवार…। कम से कम पैसों में बिकता,रंग और गुलाल…नीला-पीला जैसा ले लो,हरा-बैंगनी-लाल…। होली के रंगों में होता,गज़ब अनोखा प्रेम…सबके चेहरे एक सरीखे,क्या नौकर! क्या मेम…। राजा और प्रजा दोनों ही,झूम रहे हैं आज…इसीलिए तो फागुन होता,महीनों … Read more

मेरी मातृभाषा-मेरा सम्मान

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)******************************** अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. स्त्री के गर्भ में होती है,ईश्वर प्रदत्त एक अद्भुत मिट्टी…।जिसे अपनी ममता और असीम स्नेह,से गूंधकर स्त्री उसे देती है आकार…।माँ की स्नेहसिक्त धड़कनों से शिशु में,होता है जीवनदायिनी रक्त संचार…।नौ माह पश्चात होता है,प्यारा सृजन साकार…।माँ कराती बच्चे को जब,अमृत तुल्य दुग्ध आहार…।होने लगता अब शिशु में,अद्भुत … Read more

दान का त्योहार

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)******************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. उत्तरायण होते सूर्य देव…करते मकर राशि में प्रवेश,मकर संक्रांति का ये पर्व भी…होता है बड़ा विशेष। दान धर्म और आध्यात्म का…है संक्राति त्यौहार,लें आशीष बड़ों का इसमें…दें छोटों को भी प्यार। तिल…की सोंधी महक संग…होता है गुड़ का दान,संक्रांति तिथि में होता…पावन गंगा स्नान। रंग-बिरंगी पतंगें उड़ती हैं…नीले आसमान,परम्परा … Read more

नाराज़गी

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)********************************************* माँ जी,रॉकी ने सुबह से कुछ नहीं खाया है,और अभी दोपहर होने को आई,वो खाने की तरफ़ तो देख ही नहीं रहा हैl ऐसा तो कभी नहीं हुआ,क्या हो गया उसको! थोड़ा देखो न…! काम वाली बाई कमला ने घबराकर अपनी मालकिन से कहाlअरे,भूख लगेगी तो खाएगा न,रहने दो उसके सामनेl तू तो … Read more

मेरा प्यारा बांके बिहारी

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)********************************************* लगा लियो है मोर मुकुट,पहनी तारों की पैजनिया..!है कांधे सजी पिताम्बरी,कमर में है करधनिया..! शरद रैन है..श्री वृंदावन,रास रच्यो है भारी…!मुरली की धुन नाच रहे,श्री राधे संग बिहारी…! राधे-राधे गूँज रही है,बंसी की धुन प्यारी…!ठुमक रहे हैं कान्हा मेरे,श्री यमुना जी बलिहारी…! बीत गयो है सारी रैना,थके ना रास बिहारी…!कभी राधे संग में … Read more