स्वप्न का विज्ञान

डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’इन्दौर (मध्यप्रदेश)**************************************** स्वप्न देखना बहुत आवश्यक है। साधारण बोलचाल की भाषा में तो किसी कार्ययोजना की कल्पना करना स्वप्न देखना है। जो स्वप्न नहीं देखता,वह अपने जीवन में प्रगति कर ही नहीं कर सकता। कार्य को मूर्त रूप देने के लिए पहले उस कार्य का स्वप्न देखना आवश्यक है। दूसरे तंद्रा में … Read more

महावीर के निर्वाण से प्रचलित हुई जैन परम्परा में दीपावली

डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’इन्दौर (मध्यप्रदेश)**************************************** भारत देश धर्म प्रधान देश है,यहाँ की संस्कृति अहिंसा प्रधान है। इस देश में धर्म निरपेक्ष शासन प्रचलित है। त्यौहार हमारी संस्कृति एवं सभ्यता के प्रतीक हैं,इनका सम्बन्ध भी प्राचीन महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा होता है। यहाँ पर धार्मिकता को लिए हुए अनेक पर्व मनाए जाते हैं। दीपावली पर्व को … Read more

राखी बाँधे बहना प्यारी

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़ ************************************************** रक्षाबंधन पर्व विशेष……….. आया रक्षा बंधन भैया,लेकर सबका प्यार।है अटूट नाता ये दे अनुपम उपहार॥ राखी बाँधे बहना प्यारी,रेशम की है डोर।खड़ी आरती थाल लिये अब,होते ही वह भोर॥ सबसे प्यारा मेरा भैया,सच्चे पहरेदार।है अटूट नाता बहनों से,दे अनुपम उपहार॥ हँसी-ठिठोली करते दिनभर,माँ का राज दुलार।रखते हैं हम ख्याल सभी … Read more

वीरता और पराक्रम का नाम है रानी लक्ष्मीबाई

डॉ. नीलम महेंद्रग्वालियर (मध्यप्रदेश)************************************* आसान नहीं होता महिला होने के बावजूद पुरूष प्रधान समाज में विद्रोही बनकर अमर हो जाना,आसान नहीं होता एक महिला के लिए एक साम्राज्य के खिलाफ खड़ा हो जाना,पर हम जिस रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हैं वो उस वीरता,शौर्य,साहस और पराक्रम का नाम है … Read more

बरखा रानी आई है

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़ ************************************************** गड़-गड़ गरजे आसमान से,घोर घटा भी छाई है।छम-छम करती हँसती-गाती,बरखा रानी आई हैllझूम उठी है धरती सारी,पौधे सब मुस्काये हैं।चहक उठी है चिड़िया रानी,भौंरा गाना गाये हैंllठूँठ पड़े पेड़ों में भी तो,हरियाली अब छाई है।छम-छम करती हँसती-गाती,बरखा रानी आई हैll लगे छलकने ताल-तलैया,पोखर सब भर आये हैं।कल-कल करती नदियाँ बहती,झरने … Read more

आत्मनिर्भर भारत ‘बिना हथियार का युद्ध’

डॉ. नीलम महेंद्रग्वालियर (मध्यप्रदेश)************************************* आजकल देश में सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर चीन को बहिष्कृत करने की मुहिम चल रही है। इससे पहले ‘कोविड-१९’ के परिणामस्वरूप जब देश की अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण के दुष्प्रभाव सामने आने लगे थे तो प्रधानमंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मंत्र दिया था। उस समय यह मंत्र देश की अर्थव्यवस्था … Read more

मेरी माँ…गिनती भी नहीं आती

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** मेरी माँ है बिल्कुल अनपढ़,गिनती भी नहीं आती, जब भी माँगूं दो रोटी तो,चार हमेशा लाती। भूख नहीं लगती है फिर भी,मुझको वह खिलाती, जाता हूँ जब घर से बाहर,पानी जरुर पिलाती। सबको खाना देकर ही वह,अंतिम में ही खाती, मेरी माँ है बिल्कुल अनपढ़,गिनती भी नहीं आती। … Read more

कठिन डगर

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** कठिन डगर है ये जीवन की,कभी नहीं घबराना जी। संकट में है देश हमारा,सबको जोश दिलाना जी॥ ‘कोरोना’ बीमारी देखो,कैसे चलकर आया है। दिखे नहीं यह सूक्ष्म जीव पर,पूरी दुनिया छाया है॥ साफ -सफाई रखना सीखो,भीड़-भाड़ मत जाना जी। कठिन डगर है ये जीवन की,कभी नहीं घबराना जी॥ … Read more

मंजिल को पा जाओ

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** पाना चाहो मंजिल को तो,लक्ष्य साध कर कार्य करो, सत्य मार्ग पर चलो हमेशा,जग में अपना नाम करो। कर्म करो तुम सच्चे दिल से,फल की चिंता को छोड़ो, नेक कार्य में हाथ बँटाओ,कभी नहीं अब मुँह मोड़ो। आगे-आगे बढ़ते जाओ,राह सभी को दिखलाओ, भूले-भटके राहजनों को,मंजिल तक तुम … Read more

दया करो माँ

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** दीन-हीन हम बालक माता,पास तुम्हारे आए, दया करो हे अम्बे माता,और कहाँ हम जाएं। विपदा में हम पड़े हुए हैं,अब तो हमें बचाओ, अंधकार सब दूर करो माँ,राह नयी दिखलाओ। दीप जलाऊँ दिल से माता,उर आनंद छा जाए, दया करो हे अम्बे माता,और कहाँ हम जाएं। भटक गया … Read more