नव वर्ष नूतन काश
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************************* लाई थी दामन भर कैसी-कैसी सौगात,जा रही पलक झुकाए वो उदास-उदासवो एक दिसम्बर जनवरी दे गई थी,ये एक जनवरी दिसम्बर ले गईउँह! रहने दो आना-जाना,खाली हाथों का एहसासदूरी और आस-पास,नव वर्ष नूतन काश। गमन कदम गलीचे खिंचे आते बिछे कलियाँ,देख हुए मन ‘पत्थर’ कैसी है ये दुनियामाली भी हरे-हरे को ही सींचते,सूखे बिरवा … Read more