पुराना फर्नीचर
मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** धूल झाड़ते हुए सुहासिनी देवी के हाथ एकाएक रुक गए,जिस फर्नीचर पर अभी वह जोर-जोर से कपड़ा मार रही थीं,उनके हाथ अब उसी फर्नीचर को बड़े प्यार से सहला रहे थे। ये वही फर्नीचर थे,जिसे उन्होंने अपने कड़की के दिनों में भी एक-एक पैसा जोड़कर खरीदा था। उस समय इन्हीं … Read more