पुराना फर्नीचर

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** धूल झाड़ते हुए सुहासिनी देवी के हाथ एकाएक रुक गए,जिस फर्नीचर पर अभी वह जोर-जोर से कपड़ा मार रही थीं,उनके हाथ अब उसी फर्नीचर को बड़े प्यार से सहला रहे थे। ये वही फर्नीचर थे,जिसे उन्होंने अपने कड़की के दिनों में भी एक-एक पैसा जोड़कर खरीदा था। उस समय इन्हीं … Read more

जल भर-भर ले आए मेघा

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** जल भर भर ले आए मेघा, घटा घिरी घनघोर। दादुर मोर पपीहा बोले, झींगुर करता शोरll रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन, लगे नाचने मोर। टर-टर करते दादुर निकले, धूम मची चहुँओरll प्यास बुझी प्यासी धरती की, मनहि रही हरषाय। तप्त हृदय की तृषा मिटी अब, शीत हुआ हिय जायll तड़-तड़ करती बूँदें … Read more

राष्ट्रभाषा हिन्दी हो

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** आहत होती घर में माता गर सम्मान न मिल पाए, उसके पोषित पुत्र सभी अब गैरों के पीछे धाए। हिन्दी की भी यही दशा है आज देश में अपने ही, सर का ताज न कभी बनेगी टूट गए वो सपने ही। हिन्द के वासी हिन्दुस्तानी कभी हार ना मानेंगे, राष्ट्रभाषा … Read more

योग का महत्व

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** योग एक आध्यात्मिक प्रकिया है जिसके अंतर्गत शरीर,मन और आत्मा को एकसाथ लाने का काम होता है,अर्थात् योग द्वारा एकाग्रचित्त होकर तन और मन को आत्मा से जोड़ते हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने एक स्थल पर कहा है-‘योगः कर्मसु कौशलम्‌’ अर्थात् योग से कर्मो में कुशलता आती है। हमारे देश … Read more

दीमक बनकर चाट रहा स्वांग

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** बेटियाँ बचाने का नारा, सुनकर माँ हरषायी थी। तब ले के बिटिया की बलाएँ, वह ममता बरसायी थीll नहीं जानती थी वह माता, यहाँ दरिंदे रहते हैं। दरिंदगी की हदें पार कर, खुद को मानव कहते हैंll नन्हीं कलियाँ नहीं सुरक्षित, अपने ही गलियारों में। जीना उनका दुष्कर हो गया, … Read more

सवाल

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** ये दिल मेरा कितना खाली है पर इसमें सवाल बेहिसाब हैं, मैं जवाब की तलाश में दर-दर भटक रही हूँ, पर मेरे दिल की तरह मेरे जवाबों की झोली भी खाली है। ये दिल मेरा… भरा है माता-पिता के प्रति कृतज्ञता से, भाई-बहनों के प्रति प्यार और दुलार से, माँ … Read more

माँ तू कितनी प्यारी है

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… हे मात तुझे शत-शत वंदन, शब्दों से करती अभिनंदन। गर पा जाऊँ एक अवसर मैं, कर दूँ तुझ पर जीवन अर्पण। अपनी सारी ममता माँ ने, निज बच्चों पर वारी है। माँ तू कितनी भोली है, माँ तू कितनी प्यारी है। बच्चों का बचपन माँ से … Read more

करता जा सतकर्म तू

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** करता जा सतकर्म तू,बाधा दे बिसराय। बाद अँधेरी रात के,भोर किरन मुस्कायll रोकेंगी तेरी डगर,दुश्वारियाँ हजार। ध्यान लगा तू लक्ष्य पर,बाधा देहि बिसारll माटी की काया बनी,माटी में मिल जाय। लोभ-मोह के फेर में,जीवन दिया गँवायll मर्यादा से है नहीं,धन संपत्ति महानl दौलत कर का मैल है,कहि कर गए सुजानll … Read more

विपदा भू पर आई

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… धरती से अम्बर तक देखो, घटा धुएँ की छाई। दसों दिशाएँ हुईं ष्रदूषित, विपदा भू पर आई। नदियाँ-नाले एक हो रहे, रहे धरा अब प्यासी। नष्ट हो रही हरियाली भी मन में घिरी उदासी। पीने का पानी भी बिकता, बाजारों में भाई… धरती से अम्बर … Read more

चलो….अब भूल जाते हैं

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** जीवन के पल जो काँटों से चुभते हों, जो अज्ञान अँधेरा बन मन में अँधियारा भरता हो, पल-पल चुभते काँटों के जख़्मों पे मरहम लगाते हैं, मन के अँधियारे को ज्ञान की रोशनी बिखेर भगाते हैं, चलो! सब शिकवे-गिले मिटाते हैं चलो…. सब भूल जाते हैं…ll अपनों के दिए कड़वे … Read more