कुल पृष्ठ दर्शन : 99

योग का महत्व

मालती मिश्रा ‘मयंती’
दिल्ली
********************************************************************


योग एक आध्यात्मिक प्रकिया है जिसके अंतर्गत शरीर,मन और आत्मा को एकसाथ लाने का काम होता है,अर्थात् योग द्वारा एकाग्रचित्त होकर तन और मन को आत्मा से जोड़ते हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने एक स्थल पर कहा है-‘योगः कर्मसु कौशलम्‌’ अर्थात् योग से कर्मो में कुशलता आती है। हमारे देश का प्राचीन इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है,हमारा देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है और उस समय ऋषि-मुनि नित्य योग क्रिया करते थेl कदाचित् इसीलिए वर्तमान समय में बहुत से लोग इसे धर्म से जोड़कर देखते हैं और इसका विरोध करते हैं,किन्तु इसे धर्म से जोड़ना सर्वथा गलत ही हैl धर्म से जोड़कर इसे न अपनाने के सिर्फ दो ही कारण हो सकते हैं,-एक तो अज्ञानता और दूसरा राजनीतिक कारण। यदि इन दो कारणों को छोड़ दिया जाए तो योग का विरोध करने या इसे न अपनाने का कोई औचित्य नहीं।
वर्तमान समय में रोजमर्रा के भागमभागभरे जीवन,प्रदूषण से युक्त वातावरण,अशुद्ध और अनियमित आहार,अनियमित जीवन-शैली के कारण लोग मानसिक तनाव,शारीरिक व मानसिक अस्वस्थता जैसी कई समस्याओं से जूझ रहे हैंl हर दस में से छह व्यक्ति मोटापे का शिकार दिखाई देते हैं। ऐसी परेशानियों से आराम पाने के लिए वो दवाइयाँ लेना प्रारंभ करते हैं और धीरे-धीरे उनका जीवन ही दवाइयों पर निर्भर हो जाता है। साथ ही लोग मोटापे से राहत पाने के लिए व्यायाम करते हैं,बहुधा लोग दिन में कई-कई घंटे व्यायामशाला में व्यतीत करते हैं और प्रशिक्षक की सलाह पर तरह-तरह के हेल्थ पाउडर आदि पर पैसा पानी की तरह बहाते हैं। योग इन सारी समस्याओं का एकमात्र उपाय है। योग करने से हमारे मस्तिष्क को शांति मिलती है,ध्यान केन्द्रित करने में आसानी होती है,तनाव से मुक्ति मिलती है,कार्य करने में मन लगता हैl यह न सिर्फ हमारे मस्तिष्क को ताकत पहुँचाता है,बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। शरीर की अलग-अलग समस्याओं के लिए अलग-अलग योगासन होते हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से योग करते हैं,वो शारीरिक व मानसिक व्याधियों से दूर रहते हैं। अतः योग को दैनिक जीवन में नियमित रूप से अपनाना चाहिए,ताकि बीमारियों-कुंठाओं से दूर रहकर एक स्वस्थ,सकारात्मक और सार्थक जीवन का लाभ उठाया जा सके।

परिचय-मालती मिश्रा का साहित्यिक उपनाम ‘मयंती’ है। ३० अक्टूबर १९७७ को उत्तर प्रदेश केसंत कबीर नगर में जन्मीं हैं। वर्तमान में दिल्ली में बसी हुई हैं। मालती मिश्रा की शिक्षा-स्नातकोत्तर (हिन्दी)और कार्यक्षेत्र-अध्यापन का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप साहित्य सेवा में सक्रिय हैं तो लेखन विधा-काव्य(छंदमुक्त, छंदाधारित),कहानी और लेख है।भाषा ज्ञान-हिन्दी तथा अंग्रेजी का है। २ एकल पुस्तकें-अन्तर्ध्वनि (काव्य संग्रह) और इंतजार (कहानी संग्रह) प्रकाशित है तो ३ साझा संग्रह में भी रचना है। कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य व लेख प्रकाशित होते रहते हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा,हिन्दी भाषा का प्रसार तथा नारी जागरूकता है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-अन्तर्मन से स्वतः प्रेरित होना है।विशेषज्ञता-कहानी लेखन में है तो रुचि-पठन-पाठन में है।

Leave a Reply