छोटे बच्चे हैं हम..

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. कच्चे हैं हम,मगर सच्चे हैं हम, प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे हैं हम… प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे हैं हम। गुलशन में कितने ही रंग से खिले, माला में गुंथे बड़े अच्छे हैं हम। कच्चे हैं हम मगर सच्चे हैं हम॥ भारत की हम शान बनें, … Read more

मजदूर या मजबूर…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** बैठा है इंतजार में, कृपा की तुम्हारे। भूखी आशा से, हर आने-जाने वाले को निहारे। हाथ में पकड़े है, कपड़े में बंधी दो मोटी-मोटी रोटियां, और प्याज। मन में है कई चिंताएं, बढ़ रहा है महाजन का चौगुनी गति से ब्याज। बच्चों की माँ ने कहा था … Read more

पंचदिवस दीपावली

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** धन से धन्य दिन-रात हुए हैं, धन-तेरस ने,त्योहार की शुरु,खुशियां करवाई। कुबेर ने बाजार में खोला खजाना, धन-धान्य बरसे अब,खुशियां घर-आँगन लहराई। धन की वर्षा अभी थमी नहीँ थी, रूप निखारने को नायिका का,अब चतुर्दशी आई। नायिका संग,सब नायक सजे हैं, सजने-सजाने की स्पर्धा में भी,तुम देखो … Read more

नैतिक हिन्दी वर्ण माला…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** अ से अनार,आ से आम, पढ़-लिख कर करना है नाम। इ से इमली,ई से ईख, ले लो ज्ञान की पहली सीख। उ से उल्लू,ऊ से ऊन, हम सबको पढ़ने की धुन। ऋ से ऋषि की आ गई बारी, पढ़नी है किताबें सारी। ए से एड़ी,ऐ से ऐनक, … Read more

बरखा तुम कब जाओगी ?

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** गणपति आखिर विदा हो गए, बरखा तुम कब जाओगी ? अब तो हद-पार अति हो गई, कब तक हमें सताओगी। मानसून में रिमझिम-रिमझिम, हमको प्यारी लगती हो। आषाढ़ी कृषक की,सावन में, बहन हमारी लगती हो। तुम्हें मनाने-तुम्हें बुलाने, जाने कितने जतन किए। देर से ही तुम आई … Read more

हिंदी-शतावली

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. मन मन्दिर की आरती हिंदी, भारत की माँ भारती हिंदी। हिन्दजनों को तारती हिंदी, ज्ञानीजनों की सारथी हिंदी। शब्द नए-नए जारती हिंदी, शब्दकोश को सारती हिंदी। सर्वरूपों को धारती हिंदी, जग भाषा में उदारती हिंदी। नित नए शब्द ढालती हिंदी, आप विद्वता विशालती … Read more

जब देखेया मोहे दिखे है वो ही…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. वो काली-काली अलकें हैं, वो खुली-खुली पलकें हैं। वो नैना भी तो ढुलके हैं, पर देखे मुझे खुल के हैं जब देखेया मोहे दिखे है वो ही। वो प्यारा-प्यारा मुखड़ा है, जैसे चाँद जमीं उतरा है। सुमन-सा खिलता है, कण-कण मिलता है। मोहे … Read more

बदलेगा कश्मीर

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** ३७० और ३५-ए की बेड़ियां थी जो गल गई, कश्मीर के साथ भारत की भी किस्मत आज बदल गई। पक्ष-अलगाव के जो बैठे थे,अपनों से आज बेगाने हैं, कौन है अपना-कौन पराया,अब तक ना पहिचाने हैं। भारत-मुकुट पर गहरा मेल था,वो भी अब उजल गया, कश्मीर फिजां … Read more

एक कदम चल….

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** (रचना शिल्प:इस पद्य में ‘अ’ के अलावा कहीं भी ‘अन्य स्वर की मात्रा’ का उपयोग नहीं किया गया है।) चल,एक कदम,एक कदम,एक कदम चल, जम-जम कर,रख कदम कर अब पहल। रतन बन चम-चम चमक कर उजल, नकल अब तजन कर,कर सब असल। रत जब करम पथ,पथ सब … Read more

गगन घन बरसन…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ******************************************************************  (रचना शिल्प:इस पद्य में ‘अ’ के अलावा कहीं भी ‘अन्य स्वर की मात्रा’ का उपयोग नहीं किया गया है।) गगन घन बरसन। मगन मन हरषन। जलद भर उमड़न। धमक घर बरतन। पड़त जल छम छम। बजत डम डम डम। चमक नभ चमकन। सबन मन डरपन। पवन जब … Read more