अंतर्मन में सामंजस्य और विपत्ति में रक्षा की प्रतिबद्धता है ‘रक्षाबंधन’

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* रक्षाबंधन पर्व विशेष……….. ‘रक्षाबंधन या रक्षा कवच!येन बद्धो बलिराजा, दानवेंद्रो महाबल:,तेन्त्वाम् प्रतिबध्नामि, रक्षे माचल!माचल!!’श्रावण-पूर्णिमा के दिन एक रक्षा कवच बाँधने का विधान है,जिसे बोलचाल की भाषा में राखी कहते हैं। यह पर्व एक-दूसरे के प्रति आस्था जगाने,एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए वचनबद्ध होने का है। भले कोई किसी … Read more

प्रेमचन्द श्रद्धा-सुमन

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* मुंशी प्रेमचन्द जयन्ती(३१ जुलाई) विशेष….. धन्य हुआ वह जीवन,जिसने परखा जीवन-संवेदनाओं को छूकर,दिखाया वेदनाएं अंतर्मन;अंतस्थल से खींच-कर,लाया नोंक अपनी कलम। धन्य हुई वह धनपत,नबाब राय की कहानी,प्रेमचन्द रूप में जिसकी,सूरत गई पहचानी;धन्य हुआ वह अजायब,अजायब की निशानी। आठ वर्ष की मातृछाया,बाद की परेशानियाँ,उर्दू-फारसी छात्र-जीवन,दे गई उर्दू कहानियाँ;मनोरंजन से ऊपर … Read more

`अरथु अमित अति आखर थोरे

प्रो. गिरीश्वर मिश्र दिल्ली ************************************************************* पिछली पांच सदियों से भारतीय लोक जीवन में मूल्यगत चेतना के निर्माण में गोस्वामी तुलसीदास के ‘रामचरितमानस’ का सतत योगदान अविस्मरणीय हैl लोक भाषा की इस सशक्त रचना द्वारा सांस्कृतिक जागरण का जैसा कार्य संभव हुआ,वैसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता हैl ‘कीरति भनिति भूति भलि सोई सुरसरि सम सब … Read more

महाकवि तुलसीदास:अजर अमर नाम

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष चित्रकूट में है बसा,इक राजापुर ग्राम।‘श्री तुलसी’ जन्मस्थली,कहते लोग तमामll आँचल हुलसी का मिला,पिता आत्माराम।दासी चुनियाँ ने किया,पालन शिशु निष्कामll ‘तुलसी’ माँ के गर्भ में,रहे पूर्ण इक वर्ष।अद्भुत बालक देखकर,हुआ न कोई हर्षll दाँत सभी थे जन्म से,किये उच्चरित राम।नाम रामबोला पड़ा,भक्ति-भाव उर … Read more

हिन्दी काव्य में महाकवि गोस्वामी तुलसीदास का ऊँचा स्थान

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदासजी को श्रीराम का अनन्य भक्त माना जाता है। अपने १२६ वर्ष के दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदासजी ने कालक्रमानुसार कालजयी ग्रन्थों की रचनाएँ कीं। जैसा कि,नागरी प्रचारिणी सभा(काशी) ने उनकी रचनाओं का उल्लेख किया है,उसके अनुसार- रामचरितमानस,रामललानहछू,वैराग्य-संदीपनी,कलिधर्माधर्म निरूपण, … Read more

तुलसी

संदीप ‘सरस’सीतापुर(उत्तरप्रदेश)******************************************************************* महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष तुलसीे ने राम का चरित्र जिया जीवन में,भक्ति की उदात्त भावनाओं को उभारा था।दोहावली गीतावली रामलला नहछू,विनय पत्रिका को लिख सृजन सँवारा था। हुलसी के लाल तुलसी ने रच मानस को,मानव के मानस में मानस उतारा था।जन्मते ही तुलसी स्वभावतः रोये नहीं,सुखद स्वरों में राम … Read more

अब वो बात कहाँ

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************************** ‘अब वो बात कहाँ…तुम अपने ‘पिता’-से मजबूत कहाँ ?मैं अपनी ‘माँ’-सी सुघड़ कहाँ ?सुबह होती है,रात ढलती है,तुम बदले,कुछ हम बदलेअब वो पहले जैसा दौर कहाँ ?अब तुम अलग,मैं भी अलग!एक ‘तय’ पर चलने लगे हम-तुम,पहले वाली मिलने की अब हुलस कहाँ ?‘सुख’ ने थोड़ा हमें हँसाया,‘दुःख’ ने हमें थोड़ा तोड़ाअब … Read more

अखियाँ दर्शन को प्यासीं…

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* ‘दृष्टि जिसे हम आँख भी कहते हैं हमारे पूरे शरीर को सुरक्षा प्रदान करती है और उस दृष्टि को बहुपयोगी बनाता है दर्शनशास्त्र, जिसे हमें पढ़ने,समझने और अपने जीवन में उतारने की जरूरत है,तभी हम जीवन का आनंद और दुनिया को सही अर्थ में समझ पाएंगे!’इस जिज्ञासा या व्याख्या … Read more

आजादी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************************** महाविद्यालय में जोर-शोर से स्वंतत्रता दिवस की तैयारी चल रही थी। हरे रंग के कालीन बिछा जा रहे थे। पूरे परिसर को सुंदर रंग-बिरंगी झंडियों से सजाया जा रहा था।सभी प्राध्यापक सफेद पोशाकों में नजर आ रहे थे,तो कुछ महिला प्राध्यापक हरे केशरिया रंग में भी सुशोभित हो रही थीं। तभी … Read more

पहली बारिश

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** छाई अंधियारी गगन,दिवस लगे ज्यों रात।चमक रही है चंचला,आएगी बरसातllआएगी बरसात,सुहाना लगता मौसम।नाचे मन का मोर,देखकर शोभा अनुपमllकहता ‘शिव’ दिव्यांग,बहे शीतल पुरवाई।घिरी घटा घनघोर,गगन अँधियारी छाईll मन मयूर नर्तन करे,ऐसी पड़े फुहार।पहली बारिश से उठे,अंतस में उद्गारllअंतस में उद्गार,रही ऋतु ले अँगड़ाई।बेकाबू जज्बात,चली ऐसी पुरवाईllकहता शिव दिव्यांग,कूकती कोयल उपवन। देख प्रकृति … Read more