हे! भोले भंडारी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************ हे त्रिपुरारी,औघड़दानी,सदा आपकी जय हो।करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो॥ तुम तो हो भोले भंडारी,हो सचमुच वरदानी।भक्त तुम्हारे असुर और सुर,हैं सँग मातु भवानी।यही कामना करता हूँ शिव,मम् जीवन में लय हो,करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो…॥ लिपटे गले भुजंग अनेकों,माथ मातु गंगा है।जिसने भी पूजा हे स्वामी,उसका … Read more

मातृभाषा की महत्ता निर्विवाद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. इस धरा पर आने के उपरांत मानव जो प्रथम भाषा सीखता अपनी माता से सीखता है,उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा,किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। शिक्षा के माध्यम के सन्दर्भ में गांधी जी के विचार स्पष्ट थे। वे अंग्रेजी भाषा … Read more

जीवनानंद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************ सत्य,प्रेम,अपनत्व से,जीवन में आनंद।द्वेष,कपट अरु झूठ को,करता कौन पसंद॥ जिसका मन है सात्विक,वह रहता खुशहाल।काम,क्रोध औ’मोह तो,बुरा करें नित हाल॥ जीवन का आनंद तब,पा सकता इनसान।जब वह नित हर एक का,करता है सम्मान॥ अंतर्मन में शुद्धता,तो बिखरे आनंद।पाक़ साफ इनसान को,करते सभी पसंद॥ करुणा का ले भाव जो,करते हैं आचार।उनको … Read more

अपराध-बोध

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************************************** “सुनो जी,ये जो छत के कोने में जो ततैयों ने अपना घर बना लिया है,उसको हटा देना चाहिए न ?”हाँ,बिलकुलlपर क्या पाप नहीं लगेगा ? “कैसा पाप ?अरे घर तो हमारा है। ततैयों ने तो ज़बरदस्ती अतिक्रमण कर रखा है।”“तो,तो हम उनके घर को संडे को हटा देते हैं।”“ठीक हैl”और … Read more

‘नीर’ से साँसें

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** ‘नीर’ लिए आशा सदा,नीर लिए विश्वास।नीर से साँसें चल रही,देवों का आभास॥ अमृत जैसा है ‘शरद’,कहते जिसको नीर।एक बूंद भी कम मिले,तो बढ़ जाती पीर॥ नीर बिना जीवन नहीं,अकुला जाता जीव।नीर फसल औ’ अन्न है,नीर ‘शरद’ आजीव॥ नीर खुशी है,चैन है,नीर अधर मुस्कान।नीर सजाता सभ्यता,नीर बढ़ाता शान॥ जग की रौनक … Read more

शिवलिंग पूजा की प्रासंगिकता और महत्ता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** औघड़दानी शिव सदा,देते हैं वरदान। पिंडी की पूजा करो,पाओ जीवन-मानllदेवों के देव महादेव जो प्रकृतित: भोले भंडारी हैं,सरल हृदयी व दयालु हैं,तथा भक्त वत्सल हैं,उनकी पूजा विविध रुपों में की जाती है। वस्तुत: ब्रह्मा,विष्‍णु और महेश में केवल शिव ही हैं जिनके लिंग स्वरुप की पूजा की जाती हैl भगवान … Read more

मित्रत्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** मित्र वही जो नेह दे,सदा निभाये साथl हर मुश्किल में थाम ले,कभी न छोडे़ हाथll पथ दिखलाये सत्य का,आने ना दे आंच। रहता खुली किताब-सा,लो कितना भी बांचll मित्र है सूरज-चाँद सा,बिखराता आलोक। हर पल रहकर साथ जो,जगमग करता लोकll कभी न करने दे ग़लत,राहें ले जो रोक। वही … Read more

झूठा नित्य हारा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** सदा सच्चों को रहता ईश का ही तो सहारा है, जो झूठा है,जो कपटी है,वो बंदा नित्य हारा है। जो नैतिकता,धरम को मानता,विजय उसको ही मिलती है- जो खो देता है ईमां को,रहे हरदम बेचारा है॥ परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर … Read more

माँ पूजा का थाल

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष………. माँ होती करुणामयी,माँ सूरज का रूप। देती जो संतान को,सुख की मोहक धूप॥ माँ ईश्वर जैसी लगे,होती पालनहार। माँ में पूरा है भरा,यह सारा संसार॥ हरदम वंदन में रहे,माँ का अनुपम त्याग। माँ-महिमा गायन करें,सातों सुर औ’ राग॥ माँ धरती जैसी लगे,माँ होती … Read more

चिंता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** मौसम बदला लग रहा,बदले सब आयाम। ‘कोरोना’ ने कर दिया,सबका काम तमाम॥ ईश्वर है आक्रोश में,देखो सुबहोशाम। कैसा इंसां हो गया,कैसा उसका काम॥ शंकाओं का दौर है,शेष न अब विश्वास। मन घायल हर पल लगे,टूट रही है आस॥ चिंताएं नित पल रहीं,सभी जगह विध्वंस। हर कोई रावण हुआ,लगता जैसे … Read more