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चिंता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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मौसम बदला लग रहा,बदले सब आयाम।
‘कोरोना’ ने कर दिया,सबका काम तमाम॥

ईश्वर है आक्रोश में,देखो सुबहोशाम।
कैसा इंसां हो गया,कैसा उसका काम॥

शंकाओं का दौर है,शेष न अब विश्वास।
मन घायल हर पल लगे,टूट रही है आस॥

चिंताएं नित पल रहीं,सभी जगह विध्वंस।
हर कोई रावण हुआ,लगता जैसे कंस॥

अपने तक हर कोय है,नहीं दया का ताव।
नहीं शेष कर्तव्य अब,रोये पर का भाव॥

हुल्लड़,हिंसा,है ज़ुनूं,तोड़फोड़ का काल।
आगजनी करने लगे,भारत माँ के लाल॥

अपराधों की बाढ़ है,तोड़ रहे क़ानून।
मिल पाना दूभर हुआ,आटा,चावल,नून॥

जलती सारी बस्तियां,लोग बने हैवान।
किंचित भी अब शेष ना,अमन-चैन का गान॥

हर इक ने अब खो दिया,सारा ईमां आज।
पतनशील देखो हुआ,रोता हुआ समाज॥

देखो लड़ते लोग अब,आपस में तकरार।
‘शरद’ किसी को पर नहीं,कोई भी दरकार॥

आज अमंगल छा गया,इस मंगल के गाँव।
थोड़ी भी अब ना बची,पहले जैसी छाँव॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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