जितने दूर हुए,उतने मन के पास हुए

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ जितने दूर हुए तुम तन से,उतने मन के पास हुए।ज्यों-ज्यों दूर हुए तुम मुझसे,त्यों-त्यों धड़कन साँस हुएll जब थे पास-पास दोनों हम,नहीं विरह का भान हुआ।सुख के जीवन में पल बीते,नहीं कभी संताप हुआll मिलन हुआ जो आज विखंडित,खिंचे तार से मन के हैं।क्या था जुड़ा हृदय से ऐसा,तंतु क्षीण सब … Read more

आई दिवाली

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ घर-बाहर है साफ-सफाई,करते हैं सब लोग।हर्ष भरा उत्साह सभी में,करें सभी मनमोद॥ बम-पटाखे-फुलझड़ियों से,जगमग चारों ओर।दीप-दीप मालाओं से हर-घर है भावविभोर॥ जगमग लड़ियों से घर-आँगन,रात अंधेरी में भी।खुशी से झूमें सभी लोग,उजियारी सब जग फैली॥ आएंगे रघुनंदन वन से,आज खुशी में गायें।जाग दिवाली जाग दिवाली,कहकर मोद मनायें॥ लक्ष्मी घर-घर आज सभी … Read more

माँ जगत कष्ट हरो

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प:३१ वर्ण, ८,८,८,७ वर्ण पर यति, चरणांत गुरु) माँ जगत कष्ट हरो,सबका कल्याण करो,विपदा से मुक्त करो,हे महिषमर्दिनी। महावतार धारिणी,जगत वरदायिनी,सर्व सुखप्रदायिनी,हे जगत वंदिनी। माँ भवभय हारिणी,भक्तजन उद्धारिणी,हे जगत कल्याणिनी,हे निशुंभ मर्दिनी। भवसागर तारिणी,सर्व विपदा हारिणी,माँ जन सुखदायिनी,असुर विमर्दिनीll दुष्ट दल विनाशिनी,सुहासिनी सुभाषिनी,हे उमा वरदायिनी,हे त्रिलोक चारिणी। विपदा में आज … Read more

बाँधे मन ही जीव को

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प-अष्टावक्र गीता के श्लोकों का हिंदी अनुवाद) बंधन कारण यह सभी,काम,शोक,मितत्याग।कभी ग्रह्ण व प्रसन्नता,या मन क्रोधी आगll ठीक उलट है मुक्तिपथ,काम शोक नहीं त्याग।नहीं ग्रहण न प्रसन्नता,नहीं क्रोध की आगll बंधन मन आसक्ति है,मुक्ति कामनाहीन।बाँधे मन ही जीव को,वही मुक्त भी कीनll मैं-मेरा का भाव ही,जब तक,बाँधे जीव।नहीं त्याग नहिँ … Read more

बेटी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************** बेटी तुम घर मंदिर की इक मूरत हो,तुम्हीं जगत में धरती माँ की सूरत हो।तुम्हीं धरा पर शक्तिसृजन की उत्सृजक-तुम्हीं सृष्टि में सृजन प्रेम की मूरत होll बेटी ही जग की पावन उपहार है,बेटी ही माँ बन देती सब प्यार है।बेटी घर की दीप उसी से ज्योति है-उसी ज्योति में बड़ा … Read more

बंजारा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************** (रचना शिल्प:ध्रुवपंक्ति-नहीं ठहरता एक जगह पर,सचमुच मन बंजारा है।) चलते-चलते थक मत जाना,लक्ष्य ने आज पुकारा है।नहीं ठहरता एक जगह पर,सचमुच मन बंजारा हैll मंजिल तभी मिलेगी इक दिन,सतत राह पर चलना है।चाहे लंबी राह हो कितनी,फिर भी चलते जाना है।रुकने का तुम नाम न लेना,चरैवेति का नारा है।नहीं ठहरता एक … Read more

कोकिल के स्वर-सी…

विश्वम्भर पाण्डेय  ‘व्यग्र पाण्डे’गंगापुर सिटी(राजस्थान)******************************************************* अपनी तो सुबह हिन्दी से,सांझ भी हिन्दी में ढलती हैकदम-कदम हर डगर,हिन्दी के ही संग चलती है। स्वप्न हिन्दी हिन्दी जाग्रत,हिन्दी निर्गम हिन्दी आगतहिन्दी से हर प्रहर पावन,श्वांसें हिन्दी ही जपती हैं। हिन्दी में हास-परिहास,हिन्दी दे हमको सुवासकोकिल के स्वर-सी हिन्दी,मधुर कण्ठों से निकलती है। प्रभाव इसका फैल रहा है,इसका … Read more

शिक्षा को सम्मान दिलाया

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************** शिक्षक की गरिमा को जिसने मान दिलाया।कर्म क्षेत्र में शिक्षा को सम्मान दिलाया॥आज दिवस उनका ही जो थे महाविचारक।‘शिक्षक दिवस’ रूप में जो थे ज्ञान प्रचारक॥ आज नमन ‘राधाकृष्णन् जी’ को है करते।पाँच सितंबर को शिक्षक दिन सभी मनाते॥थे उद्भट विद्वान जो बालक बचपन से ही।तिरुत्तिणी में पाई शिक्षा थी घर … Read more

भारत माता के चरणों में, हम नमन करेंगे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************** भारत माता के चरणों में,हम सब नमन करेंगे।आओ मिलकर आज सभी इसका गुणगान करेंगेll शीश मुकुट धर वीर धरा ने,हमको आज पुकारा।हिमगिरि की चोटी से हमने,दुश्मन को ललकाराllआओ वीर जवानों सीमा,पर तुम सीना ताने।भारत वीर-जवानों की,ताकत दुश्मन ना जानेllऊँचा रहे तिरंगा इसकी,जय जयकार करेंगे।आओ मिलकर आज सभी इसका गुणगान करेंगे।। आतंकी … Read more

प्रकृति संरक्षक व दिव्यज्ञान के प्रतीक श्री गणेश जी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************** श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष….. ईश्वर निराकार है। एक होकर भी उसने अनेक रूप धारण किए। स्वयं भगवान कहते हैं,-‘एकोऽहं बहुस्याम’,अर्थात में एक होकर भी अनेक रूप धारण करता हूँ। संसार में विभिन्न लीलाएं रचने,संसार को मार्गदर्शन देने,संसार में सभी प्रकार की मर्यादाएं व व्यवस्थाएं बनाने,भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन … Read more