जितने दूर हुए,उतने मन के पास हुए
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ जितने दूर हुए तुम तन से,उतने मन के पास हुए।ज्यों-ज्यों दूर हुए तुम मुझसे,त्यों-त्यों धड़कन साँस हुएll जब थे पास-पास दोनों हम,नहीं विरह का भान हुआ।सुख के जीवन में पल बीते,नहीं कभी संताप हुआll मिलन हुआ जो आज विखंडित,खिंचे तार से मन के हैं।क्या था जुड़ा हृदय से ऐसा,तंतु क्षीण सब … Read more