प्रियतम किधर गए!

डॉ. अलका पाण्डेयमुम्बई(महाराष्ट्र)****************************************** प्रियतम किधर गए,सखी मुझे बतलाओ…प्रियतम किधर गए। सूने मन में आग लगा कर,नैनों से बिरहा बरसा करअधरों को मेरे तरसा कर,साँसों को मेरी महका कर।ख़ुद वन वन भटके,सखी मुझे बतलाओ…प्रियतम किधर गए। खेल खेल में जिया चुराया,स्वयं हार कर मुझे जितायातरसें पल पल मेरी ख़ातिर,मुझे प्रतीक्षा में तरसाया।कोई तो समझाए,सखी मुझे बतलाओ…प्रियतम … Read more

औरों के लिए जीना

डॉ. अलका पाण्डेय मुम्बई(महाराष्ट्र)****************************************** न अरमानों को दबाईए,न ख़्वाबों को सजाईएनन्हीं-सी है ये ज़िंदगानी,न इच्छाओं को दबाईएजो मिले,जितना मिले प्रेम से अपनाईए,हर हाल में ख़ुश रहिए,औरों को समझाईए। जीवन में कष्ट किसी को न दीजिए,न किसी के ज़ख़्मों का कारण बनिएगलतियों को माफ़ कर,मौन का श्रृगांर कर,लोगों के चेहरे की मुस्कान का ज़रिया बनिएअनुशासित जीवन … Read more

युद्ध

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’भंगवा(उत्तरप्रदेश)**************************************************************** युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं,अवांछित बयान भी आ रहे हैं। मानवता सिसकियां ले रही है,द्रोही सिर्फ सड़ांध फैला रहे हैं। हम कई मोर्चों पे लड़ रहे हैं,छिपे नाग विष उगल रहे हैं। जन दायित्व अब बढ़ गया है,जंग में वो चीन संग मचल रहे हैं। गलवान चीनी गले की फाँस है,शांति … Read more

बेचारा मजदूर

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** यह बीमारी खा गई-धंधा,बनकर क्रूर।गाँव वापसी कर रहे,मेहनती मजदूरll तन-मन से सब काम कर,जिसने आपा खोय।पत्नी बच्चों के लिए,दिवस-रात नहीं सोयllअब क्या होगा काम बिन,कैसे भूख मिटाय।गुजर-बसर साधन नहीं,कहाँ कुटुम्ब समायll कर सारे प्रयास सब,अब तो हैं मजबूर।गाँव वापसी कर रहे,मेहनती मजदूरll नहीं काम नहीं धाम है,भूखे बच्चे सोय।रहने को नहिं … Read more

बेघर मजदूर

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** आज बेघर है दु:खी मजदूर है।भूख से कैसे बचे मजबूर हैll कौन विपदा से बचाए भूख से।आज पैदल ही भटकता दूर हैll घर कहीं बच्चे कहीं असहाय के।भूख से व्याकुल मगर मजबूर हैll दूर बच्चों से तड़पता आज है।बेबसी में आज थक कर चूर हैll दीन की हर साँस पर जो … Read more

महाराणा प्रताप और उनकी शौर्य गाथा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. विषय प्रवेश- मेवाड़ का शेर,जिसे न सोने की हथकड़ियाँ बाँध पायी,न आँधियाँ रोक पायी,न जीवन के संघर्ष झुका पाए,और न ही आपदाओं की बिजलियाँ अपने पथ से डिगा सकी। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जिसने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। भारतीय संस्कृति और … Read more

ममता की तरुछाँव है माँ

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** जीवन की अभिप्राण है माता, ममता की तरुछाँव है माँ। शिशु की तो वरदान है माता, सभी गुणों की खान है माँ॥ माँ जग की वह ज्योति निराली, जीवन जगमग करती है। माँ की चरण कमल रज सिर रख, नैया पार लगाती है। गले लगाकर प्यार करे नित, हाथ शीश … Read more

मजदूर

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** सर पे गठरी, कांधे पे बोझा बिन रोज़े का रोज़ा, साथ में बाल बच्चे उम्र में कच्चे, खाने के लाले जुबान पे ताले, सड़क पे जल रहे मजदूर मतवाले, जाना है घर परदेस नहीं बसर, बंद काम-काज पैसा न अनाज, कोई न सुनने वाला चेहरा हुआ काला, होंठों पे जाला … Read more

बेरोजगारी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** रोजी-रोटी का संकट है, मेरी राह विकट है। पेट पीठ मिल एक हुए हैं, जठराग्नि उद्दीप्त है॥ कैसे जीवन आज निभाऊँ, यह परिवार बचाऊँ। सभी ओर से घबराया हूँ, जग आज अभिशप्त है॥ मेहनत-मजदूरी से मैं अब, दूर हुआ घर से अब। शहर-गाँव सब सून पड़े हैं, घर मेरा अतृप्त … Read more

समय न रुकता है कभी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** समय बड़ा बलवान है, समय ज्ञान को जान। समय न रुकता है कभी, समय शक्ति पहचान॥ उचित समय पर धारिए, योजित करिए काम। आलस दूर भगाइए, तत्परता अविराम॥ यत्न निरंतर राखिए, समय पूर्व निज काम। असफलता से ना डरे, हिम्मत से ले काम॥ उचित समय को जानकर, उचित कार्य का … Read more