कुल पृष्ठ दर्शन : 225

You are currently viewing औरों के लिए जीना

औरों के लिए जीना

डॉ. अलका पाण्डेय
मुम्बई(महाराष्ट्र)
******************************************

न अरमानों को दबाईए,
न ख़्वाबों को सजाईए
नन्हीं-सी है ये ज़िंदगानी,
न इच्छाओं को दबाईए
जो मिले,जितना मिले प्रेम से अपनाईए,
हर हाल में ख़ुश रहिए,औरों को समझाईए।

जीवन में कष्ट किसी को न दीजिए,
न किसी के ज़ख़्मों का कारण बनिए
गलतियों को माफ़ कर,मौन का श्रृगांर कर,
लोगों के चेहरे की मुस्कान का ज़रिया बनिए
अनुशासित जीवन जीने का संदेश दीजिए,
नेक कर्म कीजिए,कर्मों से मन जीतिए।

नाराजी को अपने से दूर,दिल से दूर रखिए,
छल-कपट से जीवन में सदा दूर रहिए
एकांत के पलों में स्वयं से मिला कीजिए,
अंतस की सारी बुराईयों को दूर कीजिए
मात-पिता की सेवा कर जीवन सार्थक कीजिए,
दीन-दु:खियों की कर के सेवा प्रभु को ख़ुश
कीजिए।

जीवन के सारे रिश्तों को प्रीत की डोरी से सींचिए,
अपना क्या-पराया क्या,कभी भेद न कीजिए
धरती माँ का आँचल सबको देता छाँव है,
नदिया का पानी सबकी प्यास बुझाता है।
सूरज भी सबके लिए रोशनी लाता है,
इनसे सीखें हम भी औरों के लिए जीना॥

Leave a Reply