मुल्क और मीत
पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** मितवा मुझे तो जाना होगा, दिल को तो समझाना होगा। वतन का साथ निभाने को, अपनों का हाथ बंटाने को… मुझे सरहद पे जाना होगा। मितवा…। मितवा अभी तुम आए हो, आँखों में ख़्वाब बसाए हो। थे आतुर तुम तो आने को, क्यूँ आतुर फिर जाने को ? ये … Read more