मँहगाई

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** उसकी पेट और पीठ मिली मुझे चकित करती रही, साथ ही चकित करती रही उसके आगे धरी, थाली में रोटी भी। जो किसी छाल की तरह, सूखकर ऐंठ-सी गयी थी, नमक भी रोटी से रूठकर, उसे छूना भी नागवार समझ बैठा था। मेरा धीर-गम्भीर मन करुणा से भर गया, रोने लगी … Read more

अस्तित्व गाथा

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* कब तक रखेंगे अपने को अंधेरे में, कब तक छिपते रहेंगे इतिहासों के पन्ने में। कब तक, हमारे अस्तित्व को सच्चाई से दूर, जातिवाद के अंधकार में भटकाया जाएगा, कब तक कोई हिरण्याक्ष, अस्मिता रूपी पृथ्वी को रसातल में छिपाता रहेगा। अब, तोड़ना होगा जातिवाद की कट्टर जंज़ीरों को, लड़ना होगा … Read more

विधाता का पश्चाताप

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** इक दिन मिला विधाता मुझको लिये हाथ में झोला, और लरजते अधरों से वो धीरे से यूँ बोला। जीवन में हैं कष्ट अनेक ताप और संताप बहुत है, अच्छे कर्म कहाँ मिलते हैं जग में अब तो पाप बहुत हैं। मैं यूँ बोला प्रभुवर तुम तो जग के भाग्य विधाता … Read more

कैसे कह सकते हो ?

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* कभी देखा है मजदूर को, खाली पेट सिर पर तसला उठाते ? कभी चखा है स्वाद सूखी रोटियों का, कभी गुजारी हैं रातें पानी को पीकर ? कभी गिरे हो भूख से चक्कर खाकर सीढ़ियों से, कभी सुनी है बेवजह मालिकों की गाली ? कभी काम के बाद नहीं पाए हो … Read more

संस्कार के बीज

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** दर्पण कितने बदले तुमने,चेहरे को तुम बदल न पाए। नेेह-स्नेह के भाव कहो क्यूँ,अब तक तुममें मचल न पाए। चाँद-सा चेहरा भोली सूरत,दर्शन में बड़े सुहाने हो। इस माटी में संस्कार के,बीज कहो क्यूँ पल न पाए। परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, … Read more

कैसे नहीं होगा विकास ?

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* जहाँ लूटा जाए दिनदहाड़े, जहाँ खेला जाए एक-दूसरे के जीवन से, उससे अच्छा कहाँ होगा विकास ? कहाँ होगा ऐसा विकासशील देश, जहाँ बहू-बेटियों को ताड़ा जाए ? मारे जाएं ताने उनकी सुरभि पर, जहाँ दरिन्दगी से बाँहों में जकड़कर अस्मत को लूटा जाए। जहाँ गिरगिट की तरह, रंग बदलता है … Read more

देश का प्रहरी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** पुण्य प्रण प्रति प्राण पूजित,पावनी पावन धरा। है समर्पण और अर्पण साँस का सावन हराll रक्त का हर कण समर्पित,साँस के कतरे सभी। जिंदगी के पल समर्पित,आज हों या हों अभीll रक्त की प्यासी धरा के,जो सरोवर हो गए। भारती के रजकणों में,तन रतन ही खो गएll देश का प्रहरी … Read more

आजादी के सपने

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* आज, आजादी के लिए कुर्बान होने वाले सेनानियों के सपने साकार हो रहे हैं। जो गुलामी की जंज़ीरों को तोड़कर, लाना चाहते थे देश की खुशहाली। मिल गई उनको उनके देश की आजादी, गूँज उठी उनके बच्चों की फिर से किलकारी। देश की तरक्की में जो काम अधूरा रह गया था, … Read more

आइना

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* चेहरे की मलिनता को दिखाता है , हाँ! बिल्कुल सच-सच, बोलता है आइना। खुशी में खुश होता है, दु:ख में दुखित होता है आइना। नहीं छिपती है, कोई इसके आगे सच्चाई, झूठ को झूठ सच को सच, बयां करता है आइना। नहीं सीखा है, कभी गिरगिट की तरह रंग बदलना, और … Read more

अश्क

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जो पिघल कर हिमशिखर से,नीर बनकर बह गया, वो धरा की प्यास को भी,तृप्त-सा ही कर गया। किंतु नयनों से जो छलका,नीर तो वो भी रहा, अनकही-सी प्यास क्यूँ फिर,वो हमीं में भर गया॥ वेदना की थी अनल जब,और टूटी आस थी, हो सकेगी तृप्त न वो,एक ऐसी प्यास थी। … Read more