मँहगाई
ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** उसकी पेट और पीठ मिली मुझे चकित करती रही, साथ ही चकित करती रही उसके आगे धरी, थाली में रोटी भी। जो किसी छाल की तरह, सूखकर ऐंठ-सी गयी थी, नमक भी रोटी से रूठकर, उसे छूना भी नागवार समझ बैठा था। मेरा धीर-गम्भीर मन करुणा से भर गया, रोने लगी … Read more