माँ

ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश नीमच(मध्यप्रदेश) ************************************************ मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… मन और आत्मा में अंतर्द्वंद्व चल रहा था। मन ने हल्का होने के लिए आत्मा से कहा,-“मुझे पेन मिला था। माँ से…

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माँ

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… ए माँ तेरे चरणों में,सुख चैन है सब मेरा, बिन तेरे जीना तो,लगता है घोर अंधेरा। आँखों में आँसू हैं,आँचल…

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बदलते खेत

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* नहीं रहे वे खेत, जिसमें से गुजरकर सौंधी-सौंधी खुशबू के साथ हवा के झकोरे आते थेl नहीं रहे वे किसान, जो दिनभर काम करने के बावजूद…

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तुम्हारी प्रीत के पौधे

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** झुकी पलकें अगर मेरी,तेरा मैं मान करता हूँ, उठी पलकें तो मानो यूँ,तेरा गुणगान करता हूँ। अगर पलकें हुई बोझिल,तो समझो याद करता हूँ, अगर…

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मजदूर की आवाज

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* बदलते समय में बदलते रहेंगे, जीवन के दुर्गम मार्गों पर चलते रहेंगे, पूंजी की समरसता से, लड़ते रहेंगे। पिस नहीं पाएंगे, धन के पाटों के बीच,…

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हुंकार

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* अपने श्रम को बेचने वाले श्रमिकों, एक हो जाओ जैसे- एक हो जाती हैं आग की लपटें, अब नहीं है तुम्हारे पास, खोने के लिए कुछ…

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मेरा भीम महान

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** जगत में छाया रे,मेरा भीम महान, हँसते-हँसते कुर्बान हुए हैं,ये भारत की शान। मान दिया,सम्मान इसी ने,जीने की राह दिखाई, तोड़ दिए बन्धन वो पुराने…

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नाहक ही मत ढूँढो खुशबू

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** चाह रहे हैं जग में हमको,मान और सम्मान मिले, बल वैभव हो मान प्रतिष्ठा,और उचित पहचान मिले। किन्तु समर्पण में बोलो कब,हमने जीवन हारा है,…

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हौंसला

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* अब दुर्गम मार्गों पर बढ़ चले हैं पांव मेरे, कठिन है यह राह इतनी थक गए हैं पांव मेरे। इस सूने रास्ते में याद कल की…

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