ओमप्रकाश अत्रि
सीतापुर(उत्तरप्रदेश)
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आज,
आजादी के लिए
कुर्बान होने वाले
सेनानियों के
सपने साकार हो रहे हैं।
जो
गुलामी की जंज़ीरों को
तोड़कर,
लाना चाहते थे
देश की खुशहाली।
मिल गई
उनको
उनके देश की आजादी,
गूँज उठी
उनके बच्चों की
फिर से किलकारी।
देश की
तरक्की में
जो काम अधूरा रह गया था,
उसको पूरा करने में
उनके बच्चे लगे हैं।
क्या
यही उनके सपने थे ?
इसीलिए
अपने रक्त से,
माँ भारती के माथे पर
विजय तिलक किए थे
कि,
देश की धरोहर को
आसानी से बेचा जाए ?
रोटी के लिए
दर-दर भटकने वाली,
जनता के
अरमानों को मारा जाए,
देश में
देवी कहलाने वाली
नारियों की
अस्मत से,
सरेआम खेला जाए ?
घुट-घुटकर
मरने वाले,
लोगों के
पेट की क्षुधा मिटाने वाले
किसानों को,
मंहगाई की भट्टी में
झोंका जाए ?
पूंजी की
बढ़ोतरी में
हाथ बँटाने वाले,
झाड़ू-पोंछा से लेकर
बड़ी-बड़ी
अट्टालिकाएं बनाने वाले,
मजदूरों के हाथों को काटा जाए ?
यदि यही
सपने संजोए थे,
देश की आजादी के लिए
मर मिटने वाले सपूतों ने,
तो सच में
उनके सपने
साकार हो रहे हैं॥
परिचय-ओमप्रकाश का साहित्यिक उपनाम-अत्रि है। १ मई १९९३ को गुलालपुरवा में जन्मे हैं। वर्तमान में पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती शान्ति निकेतन में रहते हैं,जबकि स्थाई पता-गुलालपुरवा,जिला सीतापुर है। आपको हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी सहित अवधी,ब्रज,खड़ी बोली,भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। उत्तर प्रदेश से नाता रखने वाले ओमप्रकाश जी की पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(हिन्दी प्रतिष्ठा) और एम.ए.(हिन्दी)है। इनका कार्यक्षेत्र-शोध छात्र और पश्चिम बंगाल है। सामाजिक गतिविधि में आप किसान-मजदूर के जीवन संघर्ष का चित्रण करते हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी,नाटक, लेख तथा पुस्तक समीक्षा है। कुछ समाचार-पत्र में आपकी रचनाएं छ्पी हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-शोध छात्र होना ही है। अत्रि की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य के विकास को आगे बढ़ाना और सामाजिक समस्याओं से लोगों को रूबरू कराना है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ सहित नागार्जुन और मुंशी प्रेमचंद हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज- नागार्जुन हैं। विशेषज्ञता-कविता, कहानी,नाटक लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“भारत की भाषाओंं में है
अस्तित्व जमाए हिन्दी,
हिन्दी हिन्दुस्तान की न्यारी
सब भाषा से प्यारी हिन्दी।”