हिन्दी विजयी गान

आशीष प्रेम ‘शंकर’मधुबनी(बिहार)*************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. भारत माँ की आशा इच्छा,अरमान रखी है हिन्दी नेप्रतयमान माँ भारती बन,कमान रखी है हिन्दी ने। भारत-वीरों की विजयी कथा,जयगान लिखा है हिन्दी नेवीरों का बलिदान प्रतिष्ठा,प्राण रखा है हिन्दी ने। न होकर जो अमर हैं अब भी,मान रखा है हिन्दी नेवो हिन्दी है हिन्द देश की,शान रखी है … Read more

पंख लगा देते हैं सपने

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** प्रत्येक व्यक्ति के सपने, होते हैं सबके अपने। सपने जिनमें उड़ान होती है, मनुष्य के लिए सबसे खूबसूरत होते हैं उसके सपने। इन सपनों से ही मानव, जीवनभर गतिशील रहता है। गतिशील रहना ही, मानव का कर्तव्य है। सपनों के मार्ग पर कितने, संघर्षों का सामना होता है। संघर्षों से लड़ना, … Read more

देखो आया है बसंत

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** देखो आया है बसंत, हुआ स्वर्ग जैसा भोर कितना कलरव का शोर, धरा ओढ़ रही सुनहरी चादर उषा की किरणें करतीं आदर, चल रही है मंद-मंद बयार सुनाती यह बसंत का सार, लेकर आया ये समय हसंत। देखो आया है बसंत…ll सुनहरे पात झूमतीं कलियां, किरणों से बन रहीं फलियां मंडरा … Read more

हम सब हैं अब मस्त

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… देखो बड़े दिन की छुट्टी आईं,छुट्टी आईं, सर्दी की भागदौड़ से कितनी राहत लाईं। भयानक सर्दी में रहते हम चिंता ग्रस्त, ठंड की छुट्टियों में हम सब हैं अब मस्त। सुबह-सुबह की भाग-दौड़ से किनारा, छुट्टियों में मिला अब शांति का पिटारा। इन सब छुट्टियों … Read more

भ्रष्टाचारी मुखिया

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** घर-घर जाकर पड़े हैं पाँव मुखिया, मांग रहे वोट करके काँव-काँव मुखिया। गाँव की एकता से बनकर खड़े हैं मुखिया, बाद में फिर कभी नहीं पैर पड़े हैं मुखिया। वादों से बचने की बातें छाँट रहे हैं मुखिया, रोज सरकारी दही-मलाई चाट रहे हैं मुखिया। हुआ कहीं झगड़ा तो घर में … Read more

मन का धोखा

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** दगाबाज-सा है मन, झांसा देता हरदम कब क्या करने को कह दे, इसका न कोई वर्णन। कभी फूलों-सा खिल जाए, कभी कलियों-सा शरमाए कभी काँटों-सा चुभ जाए तो, कभी मन ही मन मुस्काए। कभी भँवरों-सा भँवराए, कभी तितली-सा बन जाए हर डाल-डाल पर जा कर, सब मधु-रस को ले आए। … Read more

अपने-पराये

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** अपनों के अपनेपन को जब-जब मैंने देखा यारों, अपनों ने ही आघात किया अपनों ने किया सौदा यारों। हरदम मैं आस लगाए था, और बदले में कुछ पाया था उन्होंने दिया जो भी मुझको कोई और नहीं दे पाया था। जी हाँ,मैं ये सच कहता हूँ, आप-बीती सब गुनता हूँ … Read more

दीपक

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** हे दीपक! जलते रहना तू निरन्तर, हवाओं से डटना तू होकर निडर। संसार के अंधेरे को मिटाना है तुझे, जग में सोए हुए को जगाना है तुझे। संघर्षों से लड़ना है रहना तू तत्पर, हे दीपक! जलते रहना तू निरन्तर॥ रवि के सामने अंधकार सब भागे, जिनके होने से संसार सभी … Read more

किस्मत का फसाना

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** जीवन की तड़-तड़ से हमने तराना सीख लिया, जैसे तड़ाग ने असालतन ही अणु जमाना सीख लियाl मैं सोच बैठा,कुछ न हो पाएगा अब, इतने में ही किसी बेजुबां से हमने नवल गढ़ाना सीख लिया। जैसे तरुवर ने स्वतः ही तड़ित से बचना सीख लिया, वैसे हमने भी आत्महित विकट … Read more

ये असफलता नहीं

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** ‘चन्द्रयान-२’ की उपलब्धि को असफलता नहीं कहते, पाँच कदम आगे बढ़कर एक कदम पीछे हटने को दुर्बलता नहीं कहते। याद करो वो दिन जब चन्द्रयान निकला आर्यावत की भूमि से, दुनिया ने लोहा माना, इस जीत को हम अकुशलता नहीं कहते। मंगल पर सबसे पहले हमने लहराया तिरंगा है, ‘लैंडर … Read more