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दीपक

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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हे दीपक! जलते रहना तू निरन्तर,
हवाओं से डटना तू होकर निडर।
संसार के अंधेरे को मिटाना है तुझे,
जग में सोए हुए को जगाना है तुझे।
संघर्षों से लड़ना है रहना तू तत्पर,
हे दीपक! जलते रहना तू निरन्तर॥

रवि के सामने अंधकार सब भागे,
जिनके होने से संसार सभी जागे।
हे दीपक! यही काम तुझे करना है,
मनुज में आत्मविश्वास तुझे भरना है।
उजेश बिखरे तेरा होकर अब निर्झर,
हे दीपक! जलते रहना तू निरन्तर॥

वचनों पर कायम हो अब नेता दल,
तू देश को नए नए संदेश देता चल।
सब अंधकार को जीतने की जिज्ञासा,
हार कर भी विजय की प्रबल आशा।
लड़ हवाओं से बना खुद को बेहतर,
हे दीपक! जलते रहना तू निरन्तर॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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