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हम सब हैं अब मस्त

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष………

देखो बड़े दिन की छुट्टी आईं,छुट्टी आईं,
सर्दी की भागदौड़ से कितनी राहत लाईं।

भयानक सर्दी में रहते हम चिंता ग्रस्त,
ठंड की छुट्टियों में हम सब हैं अब मस्त।

सुबह-सुबह की भाग-दौड़ से किनारा,
छुट्टियों में मिला अब शांति का पिटारा।

इन सब छुट्टियों को धूमधाम से मनाएंगे,
जगह-जगह घूमेंगे और गीत सब गाएंगे।

ताजमहल,स्वर्ण मंदिर तो कहीं लालकिला,
छुट्टियों के दौर में चलेगा यही सिलसिला।

जीवन में पढ़ाई से भी अब अल्पविराम होगा,
मौज-मस्ती में मन का सुखद विश्राम होगा।

शीत लहर की छुट्टियां आफत से बचने को हैं,
अपने मन में एक नई उमंग ये रचने को है।

छुट्टियां हृदय को राहत और मन को सुकून हैं,
उपचार करती जैसे सर्दी में लाभकारी ऊन है।

कितना उतार-चढ़ाव हमारे इस जीवन में,
छुट्टियों से उन्नति होती है मन के सृजन में।

इन्हीं छुट्टियों के बाद आता है परीक्षा का भय,
जब तक मनाते हैं हम छुट्टियां रहते हैं निर्भय।

शीत ने किया है सभी का दुश्वार यहां पर,
इतनी भीषण सर्दी से भी है राहत कहां पर।

कड़कती ठंड में ठिठुरने को वे तो मजबूर हैं,
झेलते हैं ठंड सब वे किसान और मजदूर हैं।

उनको न मिलता कोई विश्राम और अवकाश’
निरन्तर लगे रहते वे,मेहनत में है उन्हें विश्वास॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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