सावन तीज सभी को भाए

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ सावन की ये तीज,सभी के मन को भाये।बनते घर पकवान,द्वार आँगन महकाये॥हरियाली चहुँओर,पुष्प की खुशबू आती।रंग-बिरंगे पात,सभी के मन को भाती॥ सज-धज नारी आज,मायके में वो जाती।सखी सहेली साथ,बैठ के बात बताती॥मिलकर बहना भ्रात,खूब मस्ती है करते।मम्मी-पापा साथ,घरों में खुशियाँ भरते॥ बाबा भोलेनाथ,भजन सब मिलकर गाते।सखी सहेली साथ,सभी मन्दिर … Read more

बच्चों की टोली

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ बच्चों की निकली है टोली।सबकी लगती मीठी बोली॥खेल खेलते बच्चे सारे।सुंदर-सुंदर प्यारे प्यारे॥ मैदानों में दौड़ लगाते।आगे-पीछे सभी भगाते॥मस्ती करते मिलकर बच्चे।सदा बोलते हैं वे सच्चे॥ बाग-बग़ीचे घूमने जाते।ताजा-ताजा फल हैं खाते॥सुबह-सुबह सब दौड़ लगाते।सब शरीर को स्वस्थ बनाते॥ खट्टी-मीठी करते बातें।साथ एक-दूजे के खाते॥पढ़ते-लिखते शाला जाते।गीत-कहानी रोज सुनाते॥

भोलापन

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ भोलापन का लिये चेहरा,घूम रहे सब लोग।गलती सभी छुपाकर बैठे,बढ़ जाते फिर रोग॥ समझ न पाये कोई जग में,चलते अपने चाल।पीछे पीठ चलाते गोली,फिर पूछे क्या हाल॥ भोले-भाले बनते सारे,कोई समझ न पाय।अपने ही जब दुश्मन निकले,देख सभी डर जाय॥ विडम्बना ये कैसी आयी,मानव बदले रंग।खुशियाँ सारी लुट गयी … Read more

विनती

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ विनती करती मैं सदा,जोड़ूँ दोनों हाथ।विद्या दो माँ शारदे,चरण झुकाऊँ माथ॥ विनती मेरी आपसे,मुझको दो वरदान।मैं छोटी-सी लेखिका,मिले कलम को मान॥ जय माँ वीणा वादिनी,स्वप्न करो साकार।आयी हूँ मैं द्वार पर,कर दो बेड़ा पार॥ सत्य राह पर मैं चलूँ,सिर पर रखना हाथ।भूल-चूक माफी मिले,रहना मेरे साथ॥ चले कलम मेरी … Read more

गुड़िया रानी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ छन्न पकैया छन्न पकैया,छोटी गुड़िया रानी।सुनो-सुनो सब भैया-दीदी,इसकी एक कहानी॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,चलती सड़क किनारे।एक हाथ गुलदस्ता पकड़े,दूजे में गुब्बारे॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,चिड़िया पँख फैलाये।संग-संग गुड़िया रानी के,चिड़िया उड़ते जाये॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,चलती आगे आगे।अपनी ही परछाई देखे,उसके पीछे भागे॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,करती है शैतानी।इधर-उधर … Read more

सहम गए सारे पक्षी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ सहम गए यूँ सारे पक्षी,चीं-चीं करना छोड़ दियामानव के हालात देखकर,रब से रिश्ता तोड़ दिया। एक डाल पर बैठे सारे,मन ही मन क्या सोच रहेभूख लगी है फिर भी देखो,जाने से संकोच रहे। फैल रहा है कहर शहर में,हर तरफ मौत साया हैपक्षी सारे सहम गए हैं,ये कैसा दिन … Read more

मेरे रसिया

श्रीमती प्रिया वर्माबेंगलोर(कर्नाटक)************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… होली में कमाल करे मेरे रसिया,पी के धमाल करें,मेरे रसिया। जबसे देखा भोला को भांग पीते,होली में भांग पी के झूमते रहते। दोनों हाथ में ले लाल-लाल गुलाल,लगाए अपने हाथों से,अपने गाल। खुब नाचेगावे करे बड़े शोर रसियामनावे भाभी, तो नहीं माने बतिया चुपके जाए,पिया भांग … Read more

जंगल

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ****************************************************** जंगल के हम रहने वाले।कन्द मूल को खाते हैं॥हट्टे-कट्टे हम हैं यारों,उठ कर दौड़ लगाते हैं॥ हाथी,बंदर धूम मचाते,उछल-कूद सब करते हैं।बन्दर देख कर सभी बच्चे,ताली खूब बजाते हैं॥ दूर सभी रहते महलों से,कड़ी मेहनत करते हैं।कंद मूल अरु लकड़ी लाकर,पेट सभी हम भरते हैं॥ सादा जीवन उच्च विचारें,हम … Read more

पहले प्रति-माँ की सेवा जरुरी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ****************************************************** नवरात्रि लगते ही सब भक्त माँ अम्बे की प्रतिमा के नव रूपों का अलग-अलग दिन विधि-विधान से अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजा-पाठ और माँ को मिठाई,फल का भोग लगाते हैं,पर उस प्रति-माँ का क्या ? जो आज अपने ही घर में बेबस और लाचार पड़ी है। आज भी कई … Read more

बापू के बन्दर

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************************************* बापू बन्दर तीन,बहुत ही धूम मचाते।उछले कूदे रोज,नाच को सभी नचाते॥ बुरा न देखो आप,सदा सबको बतलाते।कैसे बढ़े समाज,हमें वे राह दिखाते॥ सुन लो बच्चों बात,झूठ तुम कभी न कहना।बुरा कभी ना सोंच,सभी से मिलकर रहना॥ बुरा न बोलो आप,सभी को यही सिखाते।बापू बन्दर तीन,सदा ही राह दिखाते॥ बुरा … Read more