प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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जंगल के हम रहने वाले।
कन्द मूल को खाते हैं॥
हट्टे-कट्टे हम हैं यारों,
उठ कर दौड़ लगाते हैं॥
हाथी,बंदर धूम मचाते,
उछल-कूद सब करते हैं।
बन्दर देख कर सभी बच्चे,
ताली खूब बजाते हैं॥
दूर सभी रहते महलों से,
कड़ी मेहनत करते हैं।
कंद मूल अरु लकड़ी लाकर,
पेट सभी हम भरते हैं॥
सादा जीवन उच्च विचारें,
हम जंगल वनवासी हैं।
मिल-जुल सब कर रहते साथी,
हम जंगल के दासी हैं॥