प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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बापू बन्दर तीन,बहुत ही धूम मचाते।
उछले कूदे रोज,नाच को सभी नचाते॥
बुरा न देखो आप,सदा सबको बतलाते।
कैसे बढ़े समाज,हमें वे राह दिखाते॥
सुन लो बच्चों बात,झूठ तुम कभी न कहना।
बुरा कभी ना सोंच,सभी से मिलकर रहना॥
बुरा न बोलो आप,सभी को यही सिखाते।
बापू बन्दर तीन,सदा ही राह दिखाते॥
बुरा कभी ना बोल,हमेशा यही सिखाते।
मानो मिलकर बात,सभी को बात बताते॥
बढ़े अत्याचार,देश को कौन बचाये।
बेटी हुई निराश,कौन अब इसे मनाये॥
बापू बन्दर मौन,रोज चलती अब आँधी।
बुरे यहाँ हालात,सिसक कर रोये गाँधी॥