खेल भावना हो सही

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** खेल भावना हो सही,तभी मिलेगा मान। रौशन होगा नाम फिर,दुनिया हो हैरानll खेलो देश विदेश में,लहरे परचम आज। रहे सभी सदभावना,करें सभी फिर नाजll अपने लिए नहीं वरन,खेल देश सम्मान। गर्व करो तुम देशहित,खुद का होगा मानll कपट-द्वेष मन में नहीं,सबमें प्रेम समाय। यही खेल की भावना,जिससे सब … Read more

पिता आप भगवान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आनंदित निज पूत पा,किया समर्पित जान। पिता त्याग सुख शान्ति को,पूरण सुत अरमानll लौकिक झंझावात को,पिता सहे चुपचाप। धूप वृष्टि या शीत हो,यायावर संतापll पूत चढ़े सोपान को,सहता नित अपमान। कर्ता भर्ता जनक बन,स्नेह सींच सन्तानll संवाहक परिवार का,निर्वाहक है समाज। संघर्षक भर जिंदगी,निर्माणक सुत आजll पूत पिता … Read more

अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. शरणार्थी हैं देव सम,कर पूजा सत्कार। कभी द्वेष रखना नहीं,भाई सम हो प्यारll भोजन थाली अन्न हो,भूखे भटके लोग। इनकी करो सहायता,दूर करो तुम रोगll भाईचारा मन बसे,करो न इनको दूर। ये शरणार्थी हैं इसे,मदद करो भरपूरll लाचारी मजबूर का,देना तुम भी साथ। दुश्मन … Read more

अब क्या बचा है गाँव-सा

दौलतराम प्रजापति ‘दौलत’ विदिशा( मध्यप्रदेश) ******************************************** आज अनबन क्या हुई घर बार से, लोग आ कर लग गए दीवार से। कौन जिम्मेवार है इस जुर्म का, राज साया हो गए अखबार से। गाँव में अब क्या बचा है गाँव-सा, ला रहे हैं ढूध हम बाजार से। योजनायें क्या हुई सरकार की, पूछियेगा जा के लंबरदार से। … Read more

बेटी की आह सुनो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** चाहे जो कानून हो,कोई भी सरकार। सोच न बदले स्वयं का,अंत नहीं व्यभिचारll शर्मनाक अमानवीय,निंदनीय आचार। मर चुकी इन्सानियत,निर्भय वह लाचारll मौत मिले कुछ इस तरह,काँपे उसकी रूह। सजा मिले शैतान को,निकल न पाए ऊह॥ कैसी बर्बादी सनक,घृणित काम की सोच। सीमा लांघी क्रूरता,नहीं दया दिल लोच॥ शर्महीन … Read more

गाँव का जीवन

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** गाँवों का जीवन भला,होता सुखमय यार। घर-घर मीठे बोल है,पावन शुद्ध विचार॥ नहीं किसी से दुश्मनी,रहते मिल-जुल लोग। शुद्ध हवा का द्वार है, होते सभी निरोग॥ सुन्दर-सुन्दर घर यहाँ,लिपे-पुते दीवार। स्वर्ग यहाँ सिमटे मिले,छोटा-सा संसार॥ बाग-बगीचा वाटिका,वन-उपवन गुलजार। कोयल कुहके डाल हैं,मैना की झंकार॥ अमराई की छाँव में,मिलता … Read more

मौत खड़ी फुफकारती

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अनज़ान नहि इस लोक में,दाता हो या दीन। मौत खड़ी फुफकारती,पर चाहत भयहीन॥ झूठ कपट सोपान से,चढ़ लिप्सा परवान। जन्म मरण ध्रुव मानकर,बनता नित धनवान॥ जो पाया सब तज धरा,तन धन अरु सम्मान। डेढ़ गज भी नसीब हो,जमीं मिले अवसान॥ चाहे कर जितना यतन,तैयारी सामान। नियत काल यमदूत … Read more

हम हैं बस प्यार के..

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** क्या खूब सलीके इज़हार के प्यार के,बेकरारी के तराने, क्या कशिश अनसुलझे अहसास के, क्या समर्पण स्वयं का प्यार के निकुंज में नासमझी कहूँ ख़ुद की,या सौ बहाने, आरजू,आशिकी या दिलकशी, या अविरल भक्ति की रसधार में, हूँ समाए बहुरूप दिल के ताज़ मेंl चाहत चमन की गुलिस्तां … Read more

मत थका जिंदगी

राम भगत किन्नौर ******************************************************************* मत थका जिंदगी इतना, मत तड़पा जिंदगी इतनाl हर मंजिल मिली,हर ख्वाहिश मिली, अपने भी मिले,पराये भी मिलेl कोई ना अपना यहां बन पाया, सबने स्वार्थ के लिए रिश्ता है यहां बनायाl दोस्त का प्यार मिला, इकरार,तकरार सब मिलाl सबने रिश्ता तो जोड़ा, स्वार्थ का रिश्ता जोड़ाl थक गया हूँ भगत … Read more

जीवन-दर्शन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** दुनिया में होता बड़ा,शील धीर विवेक। परहित मृदुभाषी सदा,मौन प्रकृति हो नेक॥ तौल शील गुण त्याग सच,अपना नित आचार। अगर सफल गुरुता हुई, हुआ बड़ा आधार॥ ज्ञानवान अभिमान नर, कोप रौब आचार। दुराचार हो कटुवचन,लघुतर नर संसार॥ नहीं दोष दें अन्य को,याद करें निज कर्म। तौले तुला विवेक … Read more