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मत थका जिंदगी

राम भगत किन्नौर
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मत थका जिंदगी इतना,
मत तड़पा जिंदगी इतनाl

हर मंजिल मिली,हर ख्वाहिश मिली,
अपने भी मिले,पराये भी मिलेl

कोई ना अपना यहां बन पाया,
सबने स्वार्थ के लिए रिश्ता है यहां बनायाl

दोस्त का प्यार मिला,
इकरार,तकरार सब मिलाl

सबने रिश्ता तो जोड़ा,
स्वार्थ का रिश्ता जोड़ाl

थक गया हूँ भगत अब,
जिंदगी मत इतना सता..
मत तड़पा इतना अबll

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