गृहवास करो अविराम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जनमानस मझधार में,कोराना संताप। नभप्रभात आरोग्य जग,मिटे रोग हर पाप॥ इस आपद के समय में,गृहवास करो अविराम। निर्मल कर श्री राम मन,रख दूरी सुखधाम॥ रख रुमाल कर साफ मुख,कर केहुनी उपयोग। सब मिल रोकें क्रान्ति कर,भागेगा यह रोग॥ आएगी अरुणिम सुबह,खुशियाँ मुख मुस्कान। महकेगा गृहवास फिर,आश रखो भगवान॥ … Read more

बस…

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** खुद आबाद पथ पर चला बढ़ सच प्रेम ले मैं अनवरत, यायावरित चलता हुआ बन अडिग पथ पल सत्यव्रत सिद्धान्त रथ चढ़ सारथी ख़ुद शस्त्र भी बन के निरत, पतित अब स्वध्येय पथ नीलाभ से बर्बाद हूँ मैं हो गया। चाह ले सच राह पर उड़ान भरने को … Read more

एकता

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** अनेकता में एकता,भारत की पहचान। एक सूत्र में हैं बँधे,संस्कृति यहाँ महानll प्यारे-प्यारे फूल-सी,जाति वर्ण सम भान। अपने-अपने धर्म को,माने सभी सुजानll रंग भेद कुछ भी नहीं,भाई-भाई साथ। मिलकर करते काम हैं,ले हाथों में हाथll हिन्द हमारी जान है,हिंदी हिंदुस्तान। हिन्द महामानव बना,हिंदी से पहचानll गाँव-शहर में एकता,विपद … Read more

अहसास

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** `कोराना` सम व्याधि बहु,मनुज नहीं अहसास। हरित भरित सुष्मित प्रकृति,करता सत्यानासll लोभ मोह में जिंदगी,छल कपटी बस झूठ। प्रेम सत्य अहसास बिन,प्रकृति गयी नर रूठll परहित रत रवि शशि अनल,धरा व्योम जल वायु। नदी निर्झर सागर तरु,करे सृष्टि दीर्घायुll पा विवेक मति चिन्तना,सर्वोत्तम अहसास। अहंकार विषपान कर,मनुज करे … Read more

आराधन नवरात्र का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** चैत्रशुक्ल शुभ प्रतिपदा,विक्रम संवत् वर्ष। सृष्टि सृजन प्रारब्ध दिन,हो जीवन उत्कर्ष॥ प्रथम विष्णु अवतार यह,महर्षि गौतम जन्म। आर्यसमाजी स्थापना,रामराज्य सद्धर्म॥ विक्रम का राज्याभिषेक,राजतिलक रघुराम। चैत्रमाह नवरात्र का,पुष्पित चहुँ अभिराम॥ हरित भरित पादप लता,कली कुसुम नवरंग। मादक मन रोचक सुरभि,जीवन खिले उमंग॥ खिली खिली सुष्मित प्रकृति, नयासाल चहुँओर। भरा … Read more

नवरात्रि

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** नवरात्रि- चैत्र माह नवरात्रि में,पूजन दिन अरु रात। शुभ फल देती मातु है,सुनती सबकी बात॥ शुचिता- शुचिता मन में हो सदा,बने सभी के काम। माता रानी अम्बिके,मन में हो शुभ नाम॥ आराधना- भक्ति भाव आराधना,जप तप हो अरु ध्यान। माता के दरबार में,मिलते हैं सब ज्ञान॥ संकल्प- मेरा … Read more

चेतो अब भी,रे मनुज!

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** प्रकृति कुपित हमसे हुई,भला करे भगवान। झेल रहा जग दंश को,अब तो बन इन्सान॥ भौतिकता परवान पर,बनी प्रकृति सुनसान। देख फलाफल स्वार्थ का, ‘कोरोना’ हैवान॥ हरित भरित सुष्मित धरा,आज बनी लाचार। कोराना से सिसकती,लखि दुनिया संहार॥ कौन बचाए आपदा,विज्ञान या भगवान। रह नर निर्मल गेह में,दूरी का रख … Read more

पर्यावरण सुधार लो

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. पर्यावरण सुधार लो,आओ पेड़ लगाय। तभी धरा सुन्दर लगे,मन हर्सित हो जाय॥ जीवन इनसे है जुड़ा,इनसे है संसार। इक-इक पौधा रोप लो,पर्यावरण सुधार॥ हरी-भरी हो ये धरा,सुन्दर दिखे जहान। पर्यावरणी सोच हो,भारत बने महान॥ देख प्रदूषण रोकता,वृक्ष लगे भरमार। शुद्ध हवा पानी मिले,जीवन … Read more

‘कोरोना’ से सावधान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** ‘कोरोना’ से डरो ना,कोई करो उपाय। रहो गेह दूरी अपर,घर में रहो सफाय॥ ‘जनता कर्फ्यू’ वतन से,सुन पी एम आह्वान। एक बना जन मन वतन,कर्मवीर सम्मान॥ कोरोना शैतान से,जो लड़ते दिन रात। मोह तजे परमार्थ में,खुद जीवन सौगात॥ ताली थाली-घंटियाँ,बजे नगाड़े-ढोल। मुदित हृदय माँ भारती,एक राष्ट्र अनमोल॥ धन्यवाद … Read more

रूठो मत इतना सज़न

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** यौवन सरित उफ़ान पर,मादकता भर नैन। तन्हाई के दर्द से,सजनी दिल बेचैन॥ अश्क नैन से हैं भीगे,पीन पयोधर गाल। रूठो मत इतना सज़न,है चितवन बेहाल॥ बाट जोहती श्रावणी,बीता अब मधुमास। चित्त चकोरी आस में,बरस बुझाओ प्यास॥ तन मन धन अर्पण किया,सजन तुम्हारे नाम। रनिवासर खोयी सनम,समझ तुझे घनश्याम॥ … Read more