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नवरात्रि

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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नवरात्रि-
चैत्र माह नवरात्रि में,पूजन दिन अरु रात।
शुभ फल देती मातु है,सुनती सबकी बात॥

शुचिता-
शुचिता मन में हो सदा,बने सभी के काम।
माता रानी अम्बिके,मन में हो शुभ नाम॥

आराधना-
भक्ति भाव आराधना,जप तप हो अरु ध्यान।
माता के दरबार में,मिलते हैं सब ज्ञान॥

संकल्प-
मेरा यह संकल्प है,सुनले मेरी बात।
जोत जलाऊँ मातु मैं,आए जब नवरात॥

सन्देश-
उड़ जा पंछी जा वहाँ,जहाँ मातु का देश।
दे के आना मातु को,मेरा शुभ सन्देश॥

प्रकोप-
आया आज प्रकोप है,कोरोना है रोग।
रहो सजक हे साथियों,करलो इनका भोग॥

सत्कर्म-
करता चल सत्कर्म को,अपना है यह धर्म।
जीवन में उपकार हो,हरदम ऐसा कर्म॥

चेतना-
बढ़िया अपनी चेतना,शुद्ध ज्ञान भण्डार।
बाँटो मेरे साथियों,ये अनुपम उपहार॥

निष्ठा-
कर लेना शुभ कर्म को,बन कर निष्ठावान।
मिल जायेंगे फिर तुम्हें,कृपा सिंधु भगवान॥

दरबार-
माता के दरबार में,भीड़ लगी है आज।
करती पूरण कामना,बनते सबके काज॥

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