बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
********************************************************************
नवरात्रि-
चैत्र माह नवरात्रि में,पूजन दिन अरु रात।
शुभ फल देती मातु है,सुनती सबकी बात॥
शुचिता-
शुचिता मन में हो सदा,बने सभी के काम।
माता रानी अम्बिके,मन में हो शुभ नाम॥
आराधना-
भक्ति भाव आराधना,जप तप हो अरु ध्यान।
माता के दरबार में,मिलते हैं सब ज्ञान॥
संकल्प-
मेरा यह संकल्प है,सुनले मेरी बात।
जोत जलाऊँ मातु मैं,आए जब नवरात॥
सन्देश-
उड़ जा पंछी जा वहाँ,जहाँ मातु का देश।
दे के आना मातु को,मेरा शुभ सन्देश॥
प्रकोप-
आया आज प्रकोप है,कोरोना है रोग।
रहो सजक हे साथियों,करलो इनका भोग॥
सत्कर्म-
करता चल सत्कर्म को,अपना है यह धर्म।
जीवन में उपकार हो,हरदम ऐसा कर्म॥
चेतना-
बढ़िया अपनी चेतना,शुद्ध ज्ञान भण्डार।
बाँटो मेरे साथियों,ये अनुपम उपहार॥
निष्ठा-
कर लेना शुभ कर्म को,बन कर निष्ठावान।
मिल जायेंगे फिर तुम्हें,कृपा सिंधु भगवान॥
दरबार-
माता के दरबार में,भीड़ लगी है आज।
करती पूरण कामना,बनते सबके काज॥