यक्ष-प्रश्न
संदीप ‘सरस’सीतापुर(उत्तरप्रदेश)*********************************************** मैं अमरबेल-सा परजीवी,तुम पारिजात से वृक्ष बने।मैं हूँ रसहीन अगीत किन्तु,तुम छन्दों के समकक्ष बने। मैं हाथ जोड़कर उत्तर देता,धर्माश्रयी युधिष्ठिर सा,तुम काम्यावन सरिता तट पर,प्रश्नोत्तर करते यक्ष बने। तुम पांचाली-सा अट्टहास,मेरी पीड़ा दुर्योधन-सी,मैं मृत्युञ्जय सा अभिशापित,तुम रथ का धँसता अक्ष बने। मैं भीष्म सरीखा दृढ़प्रतिज्ञ,तुम शान्तनु जैसे कामातुर,मैं पक्ष निहत्थे माधव-सा,तुम शकुनी-सा … Read more