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वन्दे मातरम

संदीप ‘सरस’
सीतापुर(उत्तरप्रदेश)
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………


शत्रु के समक्ष रण में न खौलने लगे तो,
बोलो ऐसे रक्त की रवानी किस काम की।

हाथ कट जाएँ यदि ताज गढ़ने के लिए,
बोलो ऐसी प्रेम की निशानी किस काम की।

जिसमें न शौर्य का जुड़ा हो कोई एक पृष्ठ,
ऐसे इतिहास की कहानी किस काम की।

आन बान शान हित हिंद के न काम आए,
फिर ऐसी कायर जवानी किस काम की।

शौर्य के प्रतीक सुखदेव,चन्द्रशेखर की,
भगत सुभाष की कहानी धन्य हो गयी।

खुदीराम,राजगुरु के अदम्य साहस के,
त्याग बलिदान की निशानी धन्य हो गयी।

मंगल फकीरचन्द तात्याटोपे तिलका व,
वीर अशफ़ाक की जवानी धन्य हो गयी।

मुख में लगाम,दोनों कर में कृपाण थाम,
सिंहनी वो झाँसी वाली रानी धन्य हो गयी।

बलिदानियों का नाम जब भी पुकारता हूँ,
मन कहता है बार-बार वंदे मातरम।

राष्ट्रअस्मिता का जब प्रश्न उठता है मित्र,
अंतस में एक ही पुकार वंदे मातरम।

राष्ट्रद्रोहियों के शीश धड़ से उतारने को,
एक धारदार तलवार वन्देमातरम।

देशभक्ति भावना का ज्वार थमने न पाए,
बोलिए पुनः एक बार वन्दे मातरम॥

परिचय-साहित्य जगत में संदीप मिश्र जाना-पहचाना नाम है,जो उत्तरप्रदेश के बिसवाँ(जिला-सीतापुर) में रहते हैंl सम्प्रति से कवि,साहित्यकार और समीक्षक के साथ ही संस्थापक-संयोजक(साहित्य मंच)तथा साहित्य सम्पादक (दैनिक समाचार-पत्र में) हैंl आपकी विशेष उपलब्धि कविता कोश व दोहा कोश में रचनाएँ सम्मिलित होना, राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं सहित टी.वी. चैनल,रेडियो से रचनाएं प्रकाशित-प्रसारित व पुरस्कृत होना हैl इनकी लेखन विधा-पद्य तथा गद्य भी हैl ५ जुलाई १९७५ को बिसवाँ में जन्मे श्री मिश्र ने एम.ए.(हिन्दी साहित्य)की शिक्षा हासिल की हैl प्रकाशन में आपके नाम-`कुछ ग़ज़लें कुछ गीत हमारे`(काव्य संकलन)तथा कई साझा संकलन भी हैंl ऐसे ही शीघ्र प्रकाश्य-गीत संग्रह एवं ग़ज़ल संग्रह आदि हैंl कार्यक्षेत्र-साहित्य तथा पत्रकारिता हैl कई अखबारों में नियमित स्तम्भ प्रकाशित कराते रहने तथा नियमित समीक्षा स्तम्भ में भी सौ से अधिक पुस्तकों की समीक्षा कर चुके `सरस` को सम्मान के निमित्त-उत्तर प्रदेश से बाल कविता हेतु पुरस्कृत(१९९४),साहित्य एवं पत्रकारिता के लिए पुरस्कृत (१९९६),साहित्य गौरव सम्मान(१९९७),सृजन सम्मान(१९९८),युवा कवि पुरस्कार(१९९९) तथा नेपाल द्वारा सन्त तुलसी स्मृति सम्मान(२०१९) सहित अन्य से भी सम्मानित किया गया हैl

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