नव वर्ष-२०२१

सुरेश चन्द्र सर्वहाराकोटा(राजस्थान)************************************************** नए वर्ष की नई भोरफिर मुस्काई है,स्वागत को नव किरण-थाललेकर आई है। ढुलक पड़ी है पूरब सेमधुरस की गागर,व्योम विहँसता आज नईआभा को पाकर। ताल-ताल में कमल…

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नया उजास

सुरेश चन्द्र सर्वहाराकोटा(राजस्थान)************************************************** आज समय भी बदल रहा हैपकड़ तेज रफ्तार,नहीं रहा अब आपस में भीपहले जैसा प्यार। खत्म हो गया भाईचाराफैल रहा है द्वेष,करुणा और दया के भी अबभाव…

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एक जर्जर-सा किला

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)********************************************************** एक ऊँची-सी पहाड़ीउस पर खड़ा है यह किला,आँधियाँ सहकर समय कीजो आज तक भी ना हिला।एकान्त वासी यह किलाशोरगुल को अब तरसता,तोप की आवाज से जोशेर-सा था…

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भोर निराली

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** पूर्व दिशा से फूट रही सूरज की लाली,निकल नीड़ से फुनगी पर आ चिड़िया चहकीलदी हुई फूलों से बेलें लह-लह महकी,बोल उठी झुरमुट में बैठी कोयल काली।लघु…

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दृश्य सुहाने

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** लगी नीम के ऊपर फिर सेपीली हरी निबोली,आमों के पेड़ों के ऊपरआ कोयलिया बोली।रजनीगंधा ने महका दीफिर से सूनी रातें,हँस-हँसकर कचनार कर रहासोनजुही से बातें।रस से भीगे…

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बादल

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** घिर आए हैं काले बादल नभ के ऊपर,उमड़-घुमड़ कर आज खूब भू पर बरसेंगे…आतप से पीड़ित अब जीव सभी हरसेंगे,भर जाएँगे जल से सारे नदी-सरोवर।अगर नहीं बरसें…

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बिल्ली के बच्चे

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** घूम रहे घर-आँगन में बिल्ली के बच्चे,माँ सोई है और पास ये उसके फिरतेउछल-कूद कर इक-दूजे पर रहते गिरते,उड़ा रहे हैं चिंता के सारे परखच्चे।बच्चे हैं ये…

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एक बार तो लें हम झाँक

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** घिरे हुए दुःख के सायों सेदुनिया के सारे इंसान,सहज भाव से जीवन जीनानहीं रहा है अब आसान।आज अकेले सब जीते हैंटूट रहे पग-पग विश्वास,वे ही धोखा दे…

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रात-दिन दौड़ती जिन्दगी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** मिलेकितने ही लोग,जिन्दगी के दोराहों परपर पता नहीं,किन गलियों मेंखो गए,सम्बन्ध थे पुरानेवे टूटते रहे,और इसी बीचजुड़ते रहेकुछ नए।जिन्दगीरुकी नहीं,चलती रहीविवश-सीइच्छा के आगे,बुनती रहीसपनों का जाल,ले हाथों…

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मजदूर

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’कोटा(राजस्थान)***************************************************************** निर्धन युवकों ने कभी,जो छोड़ा था गाँव।मजबूरी में चल पड़े,उसी ओर अब पाँव॥ शहरों में जीवन खपा,लगा न कुछ भी हाथ।सिर पर जब विपदा पड़ी,छोड़ा सबने साथ॥…

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