प्रकृति रचे श्रृंगार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) *************************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. भिन्न-भिन्न मौसम यहाँ,नाना ऋतु प्रदेश।सर्द गर्म बरसात है,नाना भाषा वेशll तिल के लड्डू रेवड़ी,चूरा बाटी दाल।खाकर ख़ुशी मनाइए,करिये सभी धमालll ऋतुओं के अनुरूप ही,प्रकृति रचे श्रृंगार।गर्मी में लगने लगे,धरती भी अंगारll पीली सरसों से लगे,आया है ऋतुराज।कोयल मीठे बोल से,करती है आगाजll ऋतु परिवर्तन दौर है,मिलता है … Read more

महँगाई की मार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* महँगाई की मार से,हर जन है बेहाल।निर्धन भूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल॥ महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिन-रात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात॥ महँगाई में हो गया,गीला आटा-दाल।पूँछे कौन गरीब को,जिसका है बेहाल॥ सुरसा के मुख-सी बढ़े,महँगाई की मार।देखो तो चारों तरफ,होता हाहा-कार॥ महँगी हर इक चीज है,बढ़े हुए है भाव।डर … Read more

कर्म सदा करते रहो

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) *************************************************** कर्म बनाये भाग्य को,कर्म सभी का मूल।दोष भाग्य को देत हैं,यही मनुज की भूल॥ भाग्य भरोसे बैठकर,कभी न सोचो व्यर्थ।कर्म सदा करते रहो,यह जीवन का अर्थ॥ जीवन कर्म प्रधान है,करता जो सत्कर्म।उसका भाग्य बुलंद हो,जीवन का यह मर्म॥ सुख-दु:ख मिलते भाग्य से,विधि का यही विधान।भाग्य बना है कर्म से,कर्म दिलाये मान॥ … Read more

कोरोना-रिश्तों का अहसास

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ***************************************************************** इस कोरोना काल में,सभी हुए पाबंद।दुनिया भी रुक सी गई,चाल हो गई मंदll सन्नाटा पसरा हुआ,लोग हुए बेकार।कुछ न किसी को सूझता,क्या अब करें विचारll कोरोना से हो गया,रिश्तों का अहसास।सभी हो गए आम अब,रहा न कोई खासll अहंकार जो था कभी,अब है कोसों दूर।मानव भी अब हो गया,कुदरत से मजबूरll … Read more

नारी

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* नारी जग का सार है,नारी ही आधार। बिन नारी सब सून है,ममता काआगार॥ ममता का आगार,रहे वह सब पर भारी। पावन है हर रूपशक्ति स्वरूपा नारी॥ नारी हृदय विशाल है,ईश्वर का है रूप। देती सबको प्यार है,उसकी शक्तिअनूप॥ उसकी शक्तिअनूप,वह रखती है खुशहाल। उसके रूप अनंत,है हर इक रूप विशाल॥ … Read more

आज चलो बच्चा बन जाएं

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************ विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. बचपन की वो हँसी ठिठोली, मीठी और तुतलाती बोली परम्परागत खेल निराले, हँसी-खुशी मिलकर के खेलें फिर से वो ही पल दोहराएं। आज चलो बच्चा बन जाएं॥ चिंता-फिक्र नहीं थी कोई, केवल खाना खेलना होई कभी रूठना कभी मनाना, ना ही कोई पराया-अपना स्मृति में … Read more

माँ

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* माँ महानता की मूरत है, माँ है भोली-भाली। माँ वात्सल्य का आगार है, माँ देती खुशहालीll माँ के चरणों में जन्नत है, माँ का हृदय विशाला। माँ देती है बलिदान सदा, माँ ही देत निवालाll माँ सृष्टा की प्रथम सृष्टि है, माँ है सबसे न्यारी। शक्ति का आधार है जननी, … Read more

माँ

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* है माँ की शक्ति अपार माँ है सृष्टि का आधार, माँ के जैसा कोई नहीं माँ का मान कीजिये। माँ ईश्वर का रूप है माँ देवी का स्वरूप है, माँ की ममता है न्यारी माँ को प्यार कीजियेll बच्चे की प्रथम गुरु दुनिया माँ से ही शुरू, माँ प्रेम व … Read more

मिलकर धरा बचाएं

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* आओ मिलकर धरा बचाएं, वरना सब मिट जाएगा। दोहन प्रकृति का बंद करें, कुछ भी बच ना पायेगा॥ सब मिल करके वृक्ष लगाएं, हरी-भरी हो जाये धरा। प्रकृति का संतुलन बना रहे, जीवन भी हो जाय खरा॥ कार्बन उत्सर्जन कम कर दे, ओजोन परत बच जाए। जल की है हर … Read more

रत्न चतुर्दश

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* (रचना शिल्प:मापनी मुक्त सम मात्रिक छंद है यह। १६,९ मात्रा पर यति अनिवार्य चरणांत २१२, २ चरण सम तुकांत,४ चरण का छंद) मंदराचल को बना मथनी,रस्सी शेष को। देवदनुज सबने मिल करके,मथा नदीश कोll किया अथक प्रयास सभी ने,रहे वहां डटे। कर लिया प्राप्त मधुरामृत जब,सभी तभी हटेll रत्न चतुर्दश … Read more