उजियारे को तरस रहा हूँ
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** उजियारे को तरस रहा हूँ,अँधियारे हरसाते हैं, अधरों से मुस्कानें गायब,आँसू भर-भर आते हैं। अपने सब अब दूर हो रहे, हर इक पथ पर…