बच्चों की जाँ होती है

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* माँ तो केवल माँ होती है, वह बच्चों की जाँ होती है। जीवन में जब पीड़ा आये, अधरों पर केवल माँ होती है॥ माँ के अर्थ गूढ़ हैं कितने, रहते जिसमें अगणित सपने। हर दु:ख ओ व्याधि में भी, माँ को लगते सब जन अपने॥ दु:ख को भी सुख सम … Read more

जिंदगी के रंग…

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ******************************************************************************************** कैसे-कैसे रंग दिखाती है जिंदगी, सपने मिटाती और सजाती है जिंदगी। हमने तो कसके के बांध के रखा था जेब में, रेत-सी हाथों से फिसल जाती है जिंदगी। हमको तो बद्दुआओं की आदत-सी हो गई, तेरी दुआएं हमको सताती है जिंदगी। एक जख्म भरा भी नहीं कि दूसरा मिला, क्या … Read more

आँगन की कली

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* एक कली आँगन में आई सम्मान-सत्कार मिला, खिली मुस्कराई सुवासित किया आँगन समाज व बाबुल का, गई ससुराल सुवासित करने कोl ससुराल के अहम आकांक्षाओं, लालच व संकीर्णता के प्रदूषित झँझावत आये, सम्भालना चाहा न सम्भले अंतर्वेदना कभी किसी से न कही स्वयं में घुलती रही, मिटी,चली गयी… अपना आशियाना … Read more

बचपन की संगिनी…याद आती है.

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* मुझे मेरे बचपन की संगिनी, बहुत याद आती है… बहुत याद आती हैl जो कभी मेरी किताबें चुरा लेती थी, तो कभी बस्ता ही गायब कर देती थी और कभी-कभी कलम से, रिफिल ही निकाल लेती थीl वो पगली,मुझे परेशान कर-करके रुला देती थी, फिर खुद ही बता देती थीl … Read more

किताब जिंदगी की

वन्दना शर्मा अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** जिंदगी की इस किताब को पढ़ रही हूँ नित्य मैं, पर न अक्षर एक भी मेरी समझ में आ रहा, खो गयी पन्नों में मैं तो ढूँढ न पायी कभीl दे दी कितनी ही परीक्षा आज तक अनुत्तीर्ण हूँ, न मिला कोई गुरु जो सीख इसकी दे मुझे, समझ भी … Read more

माँ तो बस माँ है…

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ******************************************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ तो बस माँ है, वंदन करूं सुबह-शाम देवों-सी महान जो, उसके हजार नाम। हिमगिरि सी ऊँची है सागर सी गहरी है, धरती-सी शीतल है पल्लव सी कोमल है, नेह की नदिया-सी बहती अविराम। माँ तो बस माँ है… प्रकृति-सा कर देती सब कुछ वह अर्पण, … Read more

माँ’ बनकर समझी परिभाषा

वन्दना शर्मा अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… उस दिन प्रसव पीड़ा से गुजरते हुए… बंद पलकों और अधरों से बहते.. कष्ट में छाया था, बस एक ही चेहरा… वह थीं मेरी ‘माँ।’ उस दिन समझ आयी थी… ‘माँ’ की परिभाषा। और जैसे ही परिभाषा समझ आयी, एक नन्हीं कली मेरी गोद में आयी। … Read more

कवि सुबोधकुमार शर्मा सम्मानित

रामपुर(उत्तरप्रदेश)l शहीद स्मृति एवं काव्य सम्मान समारोह में विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा उत्तराखण्ड के वरिष्ठ कवि सुबोधकुमार शर्मा(शेरकोटी) को ‘शहीद स्मृति सम्मान` से सम्मानित किया गयाl पुलवामा में शहीदों की पुण्य स्मृति में आयोजित इस शहीद स्मृति काव्य एवं सम्मान समारोह के अवसर पर रामपुर में समारोह में काव्य पाठ के लिए गदरपुर (ऊधमसिंह … Read more

रुतों में है बहारां माँ

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… हवाओं में,वो खुशबू-सी रुतों में है बहारां माँ, वो,ताबानी नज़ारों की गुलों का रंग,सारा,माँl ख़ुदग़र्ज़ों की दुनिया में बताओ कौन किसका है, वो रब रूठे या जग छूटे है हारे का सहारा,माँl सर्द होते हुए रिश्ते जनाबत घुलती निस्बत में, मुहब्बत की शमा रोशन करे … Read more

माँ गरीब नहीं होती

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ की लोरी से बढ़कर दुनिया में गाना नहीं होता, नापे माँ के दिल की गहराई कोई पैमाना नहीं होताl जब आलीशान महलों में बेताबियां बढ़ जाती हैं, माँ की गोद-सा कोई जहां में आशियाना नहीं होताll कुरूप से कुरूप बच्चा माँ को खूबसूरत होता … Read more