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माँ’ बनकर समझी परिभाषा

वन्दना शर्मा
अजमेर (राजस्थान)

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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


उस दिन प्रसव पीड़ा से गुजरते हुए…
बंद पलकों और अधरों से बहते..
कष्ट में छाया था,
बस एक ही चेहरा…
वह थीं मेरी ‘माँ।’
उस दिन समझ आयी थी…
‘माँ’ की परिभाषा।
और जैसे ही परिभाषा समझ आयी,
एक नन्हीं कली मेरी गोद में आयी।
उस दिन दो लोगों ने जन्म लिया,
एक मेरी बेटी ने और एक माँ ने।
माँ बनकर पहचाना था मैंने
माँ की ममता को,
माँ के लिए आज प्रेम-श्रद्धा
और सम्मान का ज्वार…
लेने लगा हिलोरे।
खो जाऊँ लिपटकर माँ के
आँचल में…
उसकी गोद में अठखेलियाँ करता
बचपन ढूँढ लाऊँ और…
जी लूँ एक बार फिर,
ममता की छाँव में…
अपनी नन्हीं मुठ्ठी में कसकर
पकड़ लूँ उसकी अंगुली,
कि वो चाहकर भी…
न कर पाये खुद से दूर।
क्या सहज था विदा करना
एक माँ के लिए ?
मेरी माँ का वह प्रश्न,आज
फिर आ खड़ा हुआ है
एक नवजात माँ के समक्ष॥

परिचय-वंदना शर्मा की जन्म तारीख १ मई १९८६ और जन्म स्थान-गंडाला(बहरोड़,अलवर)हैl वर्तमान में आप पाली में रहती हैंl स्थाई पता-अजमेर का हैl राजस्थान के अजमेर से सम्बन्ध रखने वाली वंदना शर्मा की शिक्षा-हिंदी में स्नातकोत्तर और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी के लिए प्रयासरत होना हैl लेखन विधा-मुक्त छंद कविता हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य- स्वान्तःसुखाय तथा लोकहित हैl जीवन में प्रेरणा पुंज-गुरुजी हैंl वंदना जी की रुचि-लेखन एवं अध्यापन में है|

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