हम मन से खारे नहीं

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* यूँ तो सागर हैं हम पर मन से खारे नहीं, मौजों में ही जीते हैं हम किनारे नहीं… अपने दिल को जलाकर रोशनी देते हैं, तुम्हारे पथ में पड़े हैं पर अंगारे नहीं। क्यों सवाल करते कितना प्यार है तुमसे, कहना बनता नहीं बस इजहार है तुमसे… नाप-तौल कभी … Read more

होली

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प: विधान ८,८, ८,७ वर्ण आठ,आठ,आठ,सात। वर्ण संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है। कुल ३१ वर्ण,१६,१५, पर यति हो,(,) पदांत गुरु(२) अनिवार्य है,चार पद सम तुकांत हो,चार पदों का एक छंद कहलाता है।) रूप रंग वेष भूषा,भिन्न राज्य और भाषा, ११ ११ ११ ११, ११ ११ ११ ११ देश … Read more

ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता

भानु शर्मा ‘रंज’ धौलपुर(राजस्थान) ***************************************************************** प्रीत की सुधा सबको चाहिए मगर, ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता। इश्क में डूबने की बात करते बहुत, कोई तूफां से लड़ना नहीं चाहता॥ शूल भरी राह को भी जब चुनना पडे़, तो हँसकर कदम मित्र बढ़ाते चलो। मंजिल दूर सही किंतु मिल जायेगी, लक्ष्य पे निरंतर निगाहें … Read more

तू है ना

देवेन्द्र कुमार शर्मा ‘युगप्रीत’ अजमेर(राजस्थान) ************************************************************************ सवाल कैसा भी हो,हल हो ही जाता है, तू है ना तो सब हो ही जाता है। इतना भी नही अदीब मैं,कि सब जान सकूँ, गिर्द में तेरे आने पर अफसोस मिट सा जाता है। तू है ना तो सब हो ही जाता है…ll गमगुस्सार जितने थे सब चले … Read more

होली चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- याद करें प्रल्हाद को,भले भलाई प्रीत। तजें बुराई मानवी,यही होलिका रीत॥ चौपाई- हे शिव सुत गौरी के नंदन। करूँ आपका नित अभिनंदन॥ मातु शारदे वंदन गाता। भाव गीत कविता में आता॥ भारत है अति देश विशाला। विविध धर्म संस्कृतियों वाला॥ नित मनते त्यौहार अनोखे। मेल-मिलाप,रिवाजें चोखे॥ दीवाली अरु ईद मनाएँ। … Read more

एकता नहीं रही..

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* अब हमारे गाँव में एकता नहीं रही, इन्सानों के दिल में नेकता नहीं रहीl होलिका दहन करते थे सब साथ मिलकर, अब खर-कतवार जुटाने की चिंता नहीं रहीl जाते थे हम घर-घर जो गुलाल लेकर, अब पड़ोसियों से भी मित्रता नहीं रहीl पी के शराब बकते हैं घर में जो … Read more

चूम के वो मंजिलों को…

भानु शर्मा ‘रंज’ धौलपुर(राजस्थान) ***************************************************************** चूम के वो मंजिलों को,पाँव वसुधा पर नहीं, आदमी बदला कि जैसे,वक्त का भी डर नहीं। जी रहा वो जिंदगी यों,खो असल निज नाम को, मंजिलेें तो मिल गयी पर,भूल बैठा धाम को। बीज जीवन की धरा पर,कर्म का वो बो गया, पा सभी फल को मगर,जीत को वो खो … Read more

उनकी होली की शान

श्रीमती पुष्पा शर्मा ‘कुसुम’ अजमेर(राजस्थान) **************************************************** याद रहे,उनकी होली की शान, देशहित हो गये जो बलिदान। कितने वादे,कितनी खुशियाँ ? कितने नाते,कितनी कमियाँ ? कितने! अधूरे रह गये अरमान। देश हित…॥ सेवा जननी और जनक की, वचन भगिनी रक्षा संगिनी की बिखरा,बच्चों सिर तना वितान। देशहित…॥ सरहद की रक्षा प्रण ठाने, मातृभूमि बलिवेदी माने। निछावर … Read more

होली मर्दानी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान१० वर्ण,१६ मात्रिक, भगण मगण सगण गुरु २११ २२२ ११२ २,दो दो पद समतुकांत हो) रंग सजे सीमा पर सारे। शंख बजाए कष्ट निवारे। संकट आतंकी बन बैठे। कान उन्हीं के वीर उमेंठे। राष्ट्र सनेही भंग चढ़ा लो। शत्रु समूहों को मथ डालो। ओढ़ तिरंगा ले बन शोला। केशरिया होली … Read more

कैसे खेलें होली…

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* होनी थी जो वो तो होली,कैसे खेलें फाग होली, गिरगिट रंग लेकर सभी दल खेल रहे हैं आज होली। रक्त रंजित वीर अरि से खेल रहे हैं रण में होली, आरोपों का गुलाल ले आई नेताओं की देखो टोली॥ चोर-चोर कह शोर मचावे,भोली जनता को रिझावे, भ्रष्टाचार की गागर लेकर … Read more