हम मन से खारे नहीं
डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* यूँ तो सागर हैं हम पर मन से खारे नहीं, मौजों में ही जीते हैं हम किनारे नहीं… अपने दिल को जलाकर रोशनी देते हैं, तुम्हारे पथ में पड़े हैं पर अंगारे नहीं। क्यों सवाल करते कितना प्यार है तुमसे, कहना बनता नहीं बस इजहार है तुमसे… नाप-तौल कभी … Read more