भाई-बहन की असीम डोर

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** भाई-बहन का प्रेम से भरा,ऐसा त्योहार है रक्षाबंधन।रक्षा का सूत्र कलाई पर सजा,ललाट पर लगा ये रोली-चंदन। राखी है एक अद्भुत बंधन,जिसकी ना हो शब्दों में अभिव्यक्ति।भाई-बहन की असीम डोर,बांध रही रक्षा की यह पंक्ति। हर बहन को मिल जाती सारी खुशी,जब भाई की कलाई पर राखी बांधती।साथ ही भगवान से … Read more

हँसत नट

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचनाशिल्प:३२ वर्ण(८८८८) प्रति चरण १६,१६,वर्ण पर यति,४ चरण समतुकांत,समस्त वर्ण मात्रा विहीन हो) चल पथ पनघटखटकत जल घट,धर पद नटखटभग पटकत घट। भय भगदड़ तबघर पथ लग जब,कहत रहत अबअभय हँसत नट। वन पथ तक करछछ घट क्षत कर,झट पट चट करतब भग सरपट। सर तट तरु चढलखत लपक बढ़,वसन रखत दृढ़इत उत … Read more

ज़ाहिल मत बन

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** आबाद सफ़ीनों की आमद से ही,तो होता है,कश्ती को नहीं ठिकाना दे,वो साहिल मत बन। जो उसका है,वो दे उसको,ये हक़ उसका है,देख के उसका झुका हुआ सिर,ज़ाहिल मत बन। गरचे है बूढ़ा शज़र,आब क्यों ना देता है,जिसके साये में पला,उसी का क़ातिल मत बन। ये वबा जानलेवा है,जोखिम … Read more

असली मायका

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*********************************************************************** रक्षाबंधन पर्व विशेष……….. राखी का त्यौहार आने वाला है, मीनाक्षी की ननंदें अपने मायके आ गई हैं। सभी उसके काम में हाथ बंटाती हैं। शाम को सभी बरामदे में बैठकर एक- दूसरे से बातचीत हँसी-मजाक करते रहते हैं। मीनाक्षी की सासू माँ सबको यही कहती है,-“मेरा क्या भरोसा? कब साँस निकल जाए … Read more

नीर जरूर बचाएँ

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:३२वर्ण (८८८८) प्रतिचरण,१६,१६ वर्ण पर यति चार चरण समतुकांत,चलणांत २२ गुरु गुरु)वर्षा का नीर सहेजेंसंदेश सभी को भेजें,पुनर्भरण कर लोव्यर्थ न नीर बहाएँ। पेड़ लगाओ सब हीमेड़ बनाओ तब ही,खेत-खेत जल कुंडेघर भी कुंड बनाएँ। कूप बावड़ी पोखरभरे नीर वर्षा पर,हर पथ कुण्ड बना,बूंद-बूंद जल लाएँ। बाग-बगीची घर कीअपनी हो या पर … Read more

लोकतंत्र का अर्थ समझें

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** १५ अगस्त को आता भारत का स्वतंत्रता दिवस,भारतवासी जिसे शान से मनाता हर वर्ष। इसी दिन उन गोरे लोगों से भारत हुआ स्वतंत्र,७३ वर्ष पूर्व ना था भारत में लोकतंत्र। अतः सब भारतवासी लोकतंत्र का अर्थ समझें,पैसे,भाई-भतीजावाद के लिए अपना मत ना बेचें। इसी देश को विदेशों में कहते सोने की … Read more

बरसो बादल

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*********************************************************************** मरुधरा में बरसो बादलबरसो,न तरसाओ बादल,जून-जुलाई भी बीत गए हैं…आके दरस दिखाओ बादल। धरा तृषित हुई प्यारे मेघाकैसे विनती करें हम देवा,लायें दान-दक्षिणा,मिश्री मेवा…अम्बर पर छा जाओ बादल।आके दरस दिखाओ बादल… ताल-तलैया सारे भर दोखेतों की हर क्यारी भर दो,वन-उपवन भी तर कर दो…सबकी प्यास बुझाओ बादल।आके दरस दिखाओ बादल… धरती-अम्बर तक … Read more

तुलसी नभ के चंद्रसम

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष दिव्य छंद तुलसी रचे,भारत हुआ कृतज्ञ।मैं,उनके सम्मान में,दोहे लिखता अज्ञ॥ हुलसी तुलसी गंध सी,सेवित तुलसीदास।भाव आतमा राम से,मानस किया उजास॥ नरहरि जी सद्गुरु मिले,पायक हनुमत वीर।दे रत्नावली राम का,सुगम पंथ मति धीर॥ मानस मानस में रखे,पहचाने अरि मित्र।तुलसी ने अनुपम रचा,रघुपति राम चरित्र॥ सन्त असन्त … Read more

सुहानी शाम के साए

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************** सुहानी शाम के साये उन्हें घर पर बुलाते हैं,कभी आये वो घर पर गहन प्रीति जताते हैं। अंधेरे व उजालों में रोशन से थे पैमाने,छुअन की झिलमिलाहटों में वो दूरी मिटाते हैंl धुंध के पार जाओ तो,नदी का इक किनारा था,पानी की वो चुप्पी थी,उजाले पार जाते हैं। उजालों की शक्ल देती … Read more

नीर बहे…

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प:३२ वर्ण प्रति चरण (८८८८) १६,१६ पर यति,४ चरण समतुकांत चरणांत लघु गुरु,या लघु लघु मेघ घटा जल वर्षाखेत खेत है सरसाबाग पेड़ सर हर्षारोक जन नीर बहे। नीर भावि जन शक्तिउठो धीर मति व्यक्तिवारि से हो अनुरक्तिव्यर्थ यह नीर बहे। जल कुंड बना घररख मेड़ बनाकरकूप बापी बेरे भरचेत नर नीर … Read more