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भाई-बहन की असीम डोर

उषा शर्मा ‘मन’
जयपुर (राजस्थान)
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भाई-बहन का प्रेम से भरा,
ऐसा त्योहार है रक्षाबंधन।
रक्षा का सूत्र कलाई पर सजा,
ललाट पर लगा ये रोली-चंदन।

राखी है एक अद्भुत बंधन,
जिसकी ना हो शब्दों में अभिव्यक्ति।
भाई-बहन की असीम डोर,
बांध रही रक्षा की यह पंक्ति।

हर बहन को मिल जाती सारी खुशी,
जब भाई की कलाई पर राखी बांधती।
साथ ही भगवान से भाई की खुशी संग,
लाखों दुआएं व खुशियां मांग लाती।

आशीष-उमंग से भरा बहन का,
भाई के प्रति ऐसा है प्रेम।
जीवन का कैसा भी मोड़ हो,
बहन-भाई का रिश्ता ना होगा कभी कम॥

परिचय-उषा शर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। जन्म तारीख २२ जुलाई १९९७ एवं स्थान-मानपूर नांगल्या(जयपुर) है। राजस्थान निवासी उषा शर्मा ‘मन’ का वर्तमान निवास बाड़ा पदमपुरा( जयपुर)में ही है। इनको राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषा का भी ज्ञान है। ‘मन’ की पूर्ण शिक्षा-बी.एड.एवं एम. ए.(हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में फिलहाल अध्ययन जारी है। आपकी लेखन विधा-लेख कविता,संस्मरण व कहानी है। पसंदीदा हिंदी लेखक जयशंकर प्रसाद को मानने वाली उषा शर्मा ‘मन के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-
“हिंदी भारत देश के लिए
गौरवमयी भाषा है,
देश की माला का स्वरूप,
भारत माँ का मान है हिंदी।
साहित्य की मन आत्मा का,
जन्मों-जन्मों का साथ है हिंदी।
कवि लेखकों की शान ही हिंदी,
हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी॥”

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