आ गया फिर बसन्त
शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************ आ गया फिर बसन्त,फूलों को कहे हसन्तबाग-बगीचे खिल गए,हृदय से हृदय मिल गए।सरसों के हाथ पीले,चना तनकर मुस्कायाअलसी ने कमर मटकाई,गेहूं फूला न समाया।कृषक का धन यही,जब खेत लहलहायाआम मंजरी से भरे,कोयल ने गीत गाया।ऋतुराज की महिमा है,वातावरण हरषाया।सुगन्धित हवा बहती,मधुकर का समय आया॥ परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैL २६ … Read more