मानव और ‘कोरोना’

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** क्यूँँ मानव का संहार हुआ,दानव-सा अत्याचार किया, ‘कोरोना’ विषाणु ने आकर,क्यूँ मानव पर ही वार किया। क्यूँ मानव… सब चौक-चौराहे सूने हैं,शहरो गाँवों में वीरानी है, रस्तों-गलियों की रौनक पर,इसकी दहशत ने वार किया। क्यूँ मानव… साँसों से जाकर जिस्मों में,रोकी साँसें ही जिस्मों की, इक जिस्म से … Read more

प्रकृति संरचना में मानव का महत्व

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. ‘प्रकृति संरचना में मानव का महत्व’ है,पर मानव से पहले प्रकृति की चर्चा-भारतीय पुराणों के अनुसार किवदंतियां हैं कि प्रकृति (सृष्टि)की रचना आदिकाल से पहले हमारे ईष्ट देवता ब्रह्मा,विष्णु,महेश जी ने की थी,जो किवदंती नहीं शत्-प्रतिशत सत्य है। सभी देवों ने प्रकृति के … Read more

फ़िजूल जरुरतें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जमीन होती गगन से रौशन, गगन से किरणों के गुन्चे आते। मगर जमीं पे रहने वाले, नहीं इन्हें हैं यहां सजाते। जमीन होती… कहाँ-कहाँ से गुजरती नदियां, कि मिल लें सागर से अपने जा के। मगर जमीं पे रहने वाले, नहीं कदर नदियों की जताते। जमीन होती… जमीन … Read more

अतुलनीय भारतीय:विपदाओं का विकल्प तलाशें भारतवासी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** वक्त गुजरता रहता है। वक्त के साथ आबो-हवा माहौल,या कहें कि हालात बदलते रहते हैं। हालांकि,सुख-सुविधा,साधन,सम्पन्नता के प्रति आकर्षण मानवीय स्वभाव के लक्षण हैं,परन्तु अपनी सम्पदा, सम्प्रभुता को खोकर हासिल किए गए सुख-सुविधा,साधन कितने भी समृद्ध क्यों न हों,भविष्य में कभी न कभी नुकसानदायी ही बनते हैं। बदलाव … Read more

अनजानी ये रहगुजर

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जिन्दगी ये मिली जिस्म भी मिला है सुहाना, बन जाए कब मिट्टी,इसका न ठिकाना। बनना ही है जब मिट्टी तो फिर क्यों न, खुश होकर जीना,प्रेम-प्यार से बिताना। जिन्दगी ये मिली… मंजिल तय है हर एक सफर की मगर, हर एक मुसाफिर,बेखबर है डगर से। कुदरत ने सबको … Read more

मेरे देश की मिट्टी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** भारतवर्ष की मिट्टी में है सौंधी प्यारी-सी खुशबू, मेरे देश की मिट्टी… इसके वीर शहीदों के बलिदानी लहू की खुशबू, मेरे देश की मिट्टी…l इसके शीश हिमालय पर्वत जैसा ताज है सुन्दर, गंगा,यमुना-सी नदियों से धुन जल-तरंग की सुनकर। मन मस्त मगन हो जाता है,मन मस्त मगन हो … Read more

सत्य-अहिंसा से हर दिल में वासी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** आज ही के दिन बहत्तर वर्षों के पहले, प्राण हिंसा से,अहिंसाई पुजारी के निकले। स्वर्ग में और दिल में सारी दुनिया वालों के, वास करता है वो पिछले बहत्तर सालों से। नाम है उसका मोहनदास करमचंद गांधी, अंग्रेजों पे जिसका कहर बरपा था बनकर आंधी। सत्य वो कहता … Read more

हैसियत

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** हैसियत बनानी है अगर तुझको, तो रहना औकात में सदा के लिए। देखता है खुदा,वालिद भी तो है तेरा, रोकेगा कौन तुझे हासिल-ए-मंजिल के लिए। हैसियत बनानी है…ll अपने दिल को बना माफिक पहले, फिर मुकम्मल जतन तू कर इसके। होती हर एक रहगुजर की डगर, चाहत-ए-हयात् की … Read more

इक्कीसवीं सदी का बीसवां वर्ष

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** इक्कीसवीं सदी का नया वर्ष बीसवां, सदियों बाद भी न ऐसा मेल मिलेगा। इसी सदी का वर्ष बीता उन्नीसवां, कहाँ जिन्दगी में अब वो वर्ष दिखेगा। नये वर्ष में अब रहें ये यहीं, बहारें न जाएं यहां से कहीं। फिजाँ इन बहारों की अब रहे यहीं, खिजाँ कोई … Read more

मस्ती सब खूब करेंगे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… बड़े दिनों की छुट्टी, छुट्टी बड़े दिनों की। मस्ती सब खूब करेंगे, सब मस्ती खूब करेंगे। मिल के सारे बच्चे,नाचेंगे,गायेंगे, छुट्टी बड़े दिनों की मिल के मनायेंगे। दादा-दादी को लाओ, नाना-नानी बुलाओ। सांता क्लाज भी आया, झोला भर केक लाया। आओ,आओ सभी … Read more