दीपक

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** तम से लड़ा प्रतिपल रहा,चुपचाप दीपक जल रहा। लूटा उजाला जग सदातल तम समेटे ढल रहा। हो थरथरी लौ पुंज मेंछाया तनिक हलचल रहा। आलोक दे ले कालिमासंभल…

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मानवता के दुश्मन

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** कुछ आग लगा देश यहाँ फूँक रहे हैं,भ्रम खेल रहे,रोज खड़े भौंक रहे हैं। वे मानवता के बन दुश्मन दर्द बेचे,सेवा कर इंसान कई जूझ रहे हैं। सच…

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बचा रहे अस्तित्व

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** बचा रहे अस्तित्व स्वयं का,पड़ी सभी को अपनी-अपनीहम एक-दूजे से सभी जुड़े,साथ-साथ रह जिंदगी कटनी। मेल-जोल जब सब सोच रखें,'मैं' की पोटली खोल भी दे'हम' की प्रेम धार…

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पवित्र बंधन बँधे सभी

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** है दादी की दुआएं दादा का दुलार है,पापा के स्नेह दबदबे मम्मी का प्यार हैघर एक मंदिर पवित्र बंधन बँधे लोग सभी,प्यारा निराला होता सभी घर-परिवार है। बड़े…

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एहसासों की रंगोली

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** फूलों से कुछ रंग चुराकर,मांग ली सूरज से लाली।मोरपंख तूलिका सतरंगी,आ तस्वीर बनाएं आली। कोयल की हम कुहुक उतारे,झरने का संगीत उकेरे।पत्तों से छन-छन कर आती,उपवन की वह…

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फिर एक खुशनुमा सुबह होगी

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)*********************************** अभी दिन नहीं निकला,चिड़िया चहचहा उठी। उनके शोरगुल से आँगन,में बिस्तर से दौड़कर मैंबाहर आ गई। बहती हुई ठंडी हवा,तीन-चार गिलहरियांदौड़कर पेड़ पर चढ़ गई। दोनों पालतू…

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सपनों की राजकुमारी

वर्षा तिवारीमुम्बई(महाराष्ट्र)*************************************** एक लड़की को मैंने अभी-अभी देखा है,ना जाने क्यों दिल में कुछ-कुछ हुआ है। मेरे पास से वह गुजरी है,दिल में अजब-सी हलचल हुई हैरोज सपनों में मिलती…

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साहित्य के शलाका पुरुष डॉ. प्रभाकर माचवे

डॉ. दयानंद तिवारीमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************ परम्परागत कविता से आगे नए विषय,नई भाषा,नए भावबोध और अभिव्यक्तियों के साथ ही प्रयोगवाद के बाद हिंदी कविता में 'नयी कविता' की शुरुआत हुई। इसमें नए…

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समझ ही लेती हो अनकही बातें

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)*********************************** माँतुम्हारे लिए,मेरे पास शब्दों से परे थी भाषाआज भी वैसी ही है भाषा,इतनी बातों के दरम्यानतुम समझ ही लेती हो,मेरी अनकही बातें। आज भी मैं ठिठक कर…

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अमरलता

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** होती गर मैं अमर-लता तोहाथ हजार बनाती।बीते दिन जो प्यारे सुंदर,वापस मैं ले आती॥ रोग शोक को दफना देती,साँस-साँस महकाती।जीवन कीच हटा दुनिया की,सरसिज ताल खिलाती॥ ले कर…

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