अपनों से दिल घबराने लगा
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************************ जाने कैसा समां अब छाने लगा है,कि अपनों से दिल घबराने लगा है। पड़ती नहीं थी कभी जिन पर नजरें,अब उन्हीं पर ही प्यार आने लगा है। कहता था रखूँगा बसाकर आँखों में,अब वही शख़्स नजरें चुराने लगा है। भरता था दम जो मुहब्बत का अपनी,वो मोहब्बत की बोली लगाने … Read more