प्रारंभ जिंदगी का

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** जग में आकर जीव को,नूतन हो आभास।नवजीवन नव जगत में,नव आशा विश्वास।नव आशा विश्वास,नया घर नव संरचना।नव विचार,आचार,कर्म,विद्या नव रचना।नव समाज नव धर्म,विधाता धरता है पग।सीख-सीख अनुभव,लेकर पथ चलता है जग॥ मधुर सरस जीवन लिए,माँ की कोख समाय।प्रेम दया करुणा भरे,माँ से ममता पाय।माँ से ममता पाय प्यार की मीठी भाषा।सीखे … Read more

माँ का आँचल

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** माँ जगत कल्याणकर्त्री,हे धरा,करुणामयी।प्रेममय आँचल तुम्हारा,तुम दया ममतामयी।हो जगत जननी चराचर,विश्व आँचल में लिये।सृष्टि के आरंभ में सह,ताप वायु व जल दियेll महापरिवर्तन धरा पर,ज्वालामय अंगार था।न थी सृष्टि न कोई प्राणी,न कोई आकार था।बस शून्य में विचरता,महाकाल विराट था।इसी धरती के ही आँचल,ने खिलाया फूल थाll महाकाश के बीच में,मार्तण्ड … Read more

विपदा में आनंद

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** (रचना शिल्प:ध्रुव पंक्ति-आज समय जो भी मिला,ले उसका आनंद)‘कोरोना’ के काल में,सभी घरों में बंद।आज समय जो भी मिला,ले उसका आनंद॥ गृह में ही रखी हुई,जो भी होय किताब।बड़े प्रेम से मनन करि,ज्ञान का लें आनंद॥ बच्चों के संग खेल लें,लूडो,सीढ़ी साँप।शतरंजी के खेल में,रहें सदा आनंद॥ छोटे बच्चे हों अगर,खेलें … Read more

महाराणा प्रताप और उनकी शौर्य गाथा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. विषय प्रवेश- मेवाड़ का शेर,जिसे न सोने की हथकड़ियाँ बाँध पायी,न आँधियाँ रोक पायी,न जीवन के संघर्ष झुका पाए,और न ही आपदाओं की बिजलियाँ अपने पथ से डिगा सकी। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जिसने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। भारतीय संस्कृति और … Read more

ममता की तरुछाँव है माँ

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** जीवन की अभिप्राण है माता, ममता की तरुछाँव है माँ। शिशु की तो वरदान है माता, सभी गुणों की खान है माँ॥ माँ जग की वह ज्योति निराली, जीवन जगमग करती है। माँ की चरण कमल रज सिर रख, नैया पार लगाती है। गले लगाकर प्यार करे नित, हाथ शीश … Read more

बेरोजगारी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** रोजी-रोटी का संकट है, मेरी राह विकट है। पेट पीठ मिल एक हुए हैं, जठराग्नि उद्दीप्त है॥ कैसे जीवन आज निभाऊँ, यह परिवार बचाऊँ। सभी ओर से घबराया हूँ, जग आज अभिशप्त है॥ मेहनत-मजदूरी से मैं अब, दूर हुआ घर से अब। शहर-गाँव सब सून पड़े हैं, घर मेरा अतृप्त … Read more

समय न रुकता है कभी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** समय बड़ा बलवान है, समय ज्ञान को जान। समय न रुकता है कभी, समय शक्ति पहचान॥ उचित समय पर धारिए, योजित करिए काम। आलस दूर भगाइए, तत्परता अविराम॥ यत्न निरंतर राखिए, समय पूर्व निज काम। असफलता से ना डरे, हिम्मत से ले काम॥ उचित समय को जानकर, उचित कार्य का … Read more

बंजारा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** यायावर बंजारे दिन उनके होते हैं, खोजी विचार वाले जो सीमित होते हैं। यद्यपि होती क्षमता कुछ अनगिन लोगों में- जनहित,परहित भाव कुछों में ही होते हैं॥ खोज सत्य व ज्ञान की जो भी करते थे, खोकर अपना सब-कुछ यह पथ चलते थे। ज्ञानी,योगी,तापस,ऋषि व महापुरुष- यायावर बन भ्रमण विश्व … Read more

हे नीलकंठ! जग कष्ट हरो

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** (रचनाशिल्प:कुल- ३२ मात्राएं) हे नीलकंठ! करुणामय मेरे, दया सिंधु अब लाज धरो। है आज जगत में त्राहि मची, हे जगदीश्वर! जग कष्ट हरो। तुमने ही जगहित धारण कर विष, कंटक कालन कंठ धरो। अब दीनन के दु:ख दूर करो प्रभु, शंभु हरे-हर, विपद हरो॥ त्राहि मची है आज भुवन में, … Read more

है इश्क ये खूबसूरत

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** है इश्क ये खूबसूरत, जो दिल को सहलाता है। मन को गुदगुदाता है, नये अरमान से जीना सिखाता है॥ पर यह इश्क नहीं, सबके लिए खूबसूरत। जो किसी को, पल-पल रुलाता है अश्क बहाता है। हर पल धड़कन बढ़ाकर- दिल में काँटा बन जाता है॥ यह जरूरी नहीं कि इसकी, … Read more