विदा होता दिसम्बर

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)********************************************* चलो सखियां ,ओढ़ लेंएक-दूसरे के दर्द को,लिहाफ की तरह।बाँट लें एक-दूजे की पीड़ा को,प्रसाद की तरह।कुछ देकर,कुछ लेकर जा रहा है,यह दिसम्बर एक अनुभव की तरह।जीने…

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