अनिवार्य मातृभाषा हो तो हिंदी बने राष्ट्रभाषा ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** भारत में उत्तरप्रदेश हिंदी का सबसे बड़ा गढ़ है लेकिन देखिए कि हिंदी की वहां कैसी दुर्दशा है। इस साल दसवीं और बारहवीं कक्षा के २३ लाख विद्यार्थियों में से लगभग ८ लाख विद्यार्थी हिंदी में अनुतीर्ण हो गए,डूब गए। जो पार लगे,उनमें से भी ज्यादातर किसी तरह बच निकले। प्रथम श्रेणी … Read more

भारत में सच्चा लोकतंत्र जरूरत

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** लोग पूछ रहे हैं कि,भारत को सच्चा लोकतंत्र कैसे बनाएं ? कुछ सुझाव दीजिए। सबसे पहले देश की सभी पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र हो,याने किसी भी पद पर कोई भी नेता बिना चुनाव के नियुक्त न किया जाए। पार्टी के अध्यक्ष तथा सभी पदाधिकारियों का सीधा चुनाव हो,गुप्त मतदान द्वारा। दूसरा, किसी … Read more

पाक व अमेरिका:दुश्मनी के डमरु

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** गलवान घाटी को लेकर चल रहे भारत-चीन तनाव पर २ संवाद अभी-अभी ऐसे हुए हैं,जिन पर विदेश नीति विशेषज्ञों का ध्यान जाना जरुरी है। एक तो अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियों और भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के बीच,एवं दूसरा चीनी विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के … Read more

अचानक लद्दाख दौरा…कई सवाल

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक लद्दाख का दौरा कर डाला। अचानक इसलिए कि यह दौरा रक्षामंत्री राजनाथसिंह को करना था। इस दौरे को रद्द करके मोदी स्वयं लद्दाख पहुंच गए। विपक्षी दल इस दौरे पर विचित्र सवाल खड़े कर रहे हैं। कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि १९७१ में इंदिरा गांधी ने … Read more

भाजपा-कांग्रेस का आपसी दंगल

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** यह हमारे लोकतंत्र की मेहरबानी है कि इस संकट की घड़ी में चीन का मुकाबला करने की बजाय हमारे राजनीतिक दल एक-दूसरे के साथ दंगल में उलझे हुए हैं। टी.वी. चैनलों पर जैसी अखाड़ेबाजी हमारे राजनीतिक दलों के प्रवक्ता करते रहते हैं,वह उन चैनलों का स्तर तो गिराती ही है,हमारी जनता को … Read more

अब नई दुनिया गढ़े भारत

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** भारत ८ साल बाद फिर आठवीं बार सुरक्षा परिषद का सदस्य चुन लिया गया है। यह सदस्यता २ साल की होती है। सुरक्षा परिषद में कुल १५ सदस्य हैं। उनमें से ५-अमेरिका, रुस,चीन,ब्रिटेन और फ्रांस स्थायी सदस्य हैं। इनमें से प्रत्येक को ‘निषेधाधिकार'(वीटो) का अधिकार है। शेष १० अस्थायी सदस्य किसी भी … Read more

अश्वेत की हत्या पर भारत की चुप्पी

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** अमेरिका के अश्वेत नागरिक जाॅर्ज फ्लाएड की हत्या के विरोध में कितने जबर्दस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका में ऐसी उथल-पुथल तो उसके गृह-युद्ध के समय ही मची थी,लेकिन इस बार तो कनाडा से लेकर जापान के दर्जनों देशों में रंगभेद के खिलाफ आवाज़ें गूंज रही हैं। ब्रिटेन और यूरोपीय देश,जो मूलतः … Read more

‘नाकाम’ पाक द्वारा भारत-विरोधी २ फर्जी मुद्दे

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** ‘कोरोना’ के इस भयंकर संकट के दौर में पाकिस्तान की इमरान खान सरकार को पता नहीं क्या हो गया है! पाकिस्तानी जनता की कोरोना से रक्षा करने में अपनी नाकामी को छुपाने के लिए क्या उसे इस वक्त यही हथियार हाथ लगा है ? उसने भारत-विरोधी २ कदम उठाए हैं। एक तो … Read more

तात्कालिक ‘तालाबंदी’ को स्थायी नशाबंदी में क्यों नहीं बदला जाए ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** ‘तालाबंदी’ को ढीला करते ही सरकार ने २ उल्लेखनीय काम किए। एक तो प्रवासी मजदूरों की घर वापसी और दूसरा शराब की दुकानों को खोलना। नंगे-भूखे मजदूर यात्रियों से रेल का किराया वसूल करने की इतनी कड़ी आलोचना हुई कि उनकी यात्राएं तुरंत निःशुल्क हो गईं लेकिन जहां तक शराब … Read more

प्रवासी मजदूर:आकर्षक वेतन और सुविधाएं दी जाए,ताकि स्वतः लौट आएं

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** कर्नाटक की सरकार ने अपना फैसला बदलकर ठीक किया। पहले उसने उत्तर भारत के मजदूरों की घर-वापसी के लिए जो रेलगाड़ियां तैयार थीं,उन्हें अचानक रद्द कर दिया था लेकिन सर्वत्र होनेवाली आलोचना ने उसे मजबूर कर दिया कि वह अपने इस फैसले को रद्द करे। यदि इन मजदूरों को ४०-४५ … Read more